भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?"

      "आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?"
जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित कर देते हैं ,फिर भी हम अगर जानना ही चाहते हैं ,तो कुंडली के अष्टम भाव से आयु का निर्णय होता है | सबल ग्रह होने पर होने पर दीर्घायु जातक होता है |निर्बल होने पर आकाल मृत्यु  होती है |  -"ज्योतिष "के जितने भी प्रणेता रहे हैं ,वो इसलिए कुंडली का निर्माण संस्कृत में करते थे ,हैं ,परन्तु आधुनिक तकनीकी के आगमन से -मूल रूप तो समाप्त हो गया सभी "ज्योतिष विद हो जाये -पूर्वाचार्यों का मत था कि आयु कि सही जानकारी होने से सभी दुखी होंगें ,इसलिए संस्कृत लिखित कुंडली में लाल कलम का निशान आयु की जगह पर लगा देते थे |-कुछ योग शास्त्रों का मत तो यह भी है -कि आप योग के द्वारा अपनी आयु बढ़ा भी सकते हैं ,जैसे -प्राणायाम से ,कुंडली चक्र से |
कलयुग में -आयु १२० वर्ष की होती है विंशोत्तरी महादशा के अनुसार -यदि -अष्टम भाव में "शनि विराजमान हों तो दीर्घायु का योग होता है | "वृहस्पति " विराजमान हों अष्टम भाव में तो आयु के लिये ठीक नहीं होता है | सूर्य ,मंगल और चंद्रमा विराजमान हों अष्टम भाव में तो मध्य आयु समझना चाहिए | वुध और शुक्र हों तो सही उम्र समझना चाहिए |---आयु के निर्णय सम्बन्ध में और भी भी विचार कीये जाते हैं -कुंडली के लग्नेश ,अष्टमेश ,दुतीयभाव और सप्तम भाव का भी सहयोग लेना पड़ता है |
भाव -मित्रप्रवर -मेरे विचार से -यह भाव विचारणीय नहीं होता है -हमें अपने सही कर्म करने चाहिए ,और "भगवान विष्णु " के ऊपर छोर देना चाहिए ,अपने पथ पर अग्रसर रहना चाहिए | अपने से बड़ों का सदा आशीर्वाद प्राप्त करना ही आयु को बढ़ाना होता है |
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री" मेरठ |
संपर्क सूत्र -०९८९७७०१६३६.३५८८८५६१६.   

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