भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

गुरुवार, 16 सितंबर 2010

" अनुभव और निदान"

         
देवभाषा एवं देववाणी कभी असत्य नहीं होतीं हैं | ज्योतिष गणित एवं फलित का निर्माण भी संस्कृत भाषा में हुई है,परन्तु जिस ज्योतिष को हम आप जानते हैं ,और जो वास्तविक है ,उसमें बहुत अंतर है | हम जानने की कोशिश करते हैं |
[१]-कोई भी अभिभावक -जातक के जन्म  के उपरांत अपने बालक के गुणों का वर्णन तो सुनना पसंद करेंगें ,किन्तु अवगुणों को नहीं | इसलिए कुंडली संस्कृत में लिखी जाती है ,ताकि लिखेंगें तो सारी बातें किन्तु बतायेंगें आपके अनुसार |   
[२]-ज्योतिष को जानने के लिए या समझने के लिए बहुत बड़ी हिम्मत की जरुरत होती है और यह राजाओं -महराजाओं को  हुआ करती थी ,वो अपनी क्षमता के अनुसार तत्काल उसका निदान करते थे|
प्रायः समय बदला .हम बदले ,और हमारी ज्योतिष भी बदल गयी | इसलिए देवभाषा एक सार्वजानिक भाषा हो गई ,अब हम उसी राह पर चलते हैं ,जिस पर सभी चलते हैं | भाव -धन की बहुलता ने सभी को बदल दिया है ,यदि कुछ हैं भी तो नगण्य के बराबर ही हैं ,जरुरत है समझने की और समझाने की |>आगे कल <
निवेदक -झा शास्त्री मेरठ |

1 टिप्पणी:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

" अनुभव और निदान"देवभाषा एवं देववाणी कभी असत्य नहीं होतीं हैं | ज्योतिष गणित एवं फलित का निर्माण भी संस्कृत भाषा में हुई है,परन्तु जिस ज्योतिष को हम आप जानते हैं ,और जो वास्तविक है ,उसमें बहुत अंतर है | हम जानने की कोशिश करते हैं |
[१]-कोई भी अभिभावक -जातक के जन्म के उपरांत अपने बालक के गुणों का वर्णन तो सुनना पसंद करेंगें ,किन्तु अवगुणों को नहीं | इसलिए कुंडली संस्कृत में लिखी जाती है ,ताकि लिखेंगें तो सारी बातें किन्तु बतायेंगें आपके अनुसार |
[२]-ज्योतिष को जानने के लिए या समझने के लिए बहुत बड़ी हिम्मत की जरुरत होती है और यह राजाओं -महराजाओं को हुआ करती थी ,वो अपनी क्षमता के अनुसार तत्काल उसका निदान करते थे|
प्रायः समय बदला .हम बदले ,और हमारी ज्योतिष भी बदल गयी | इसलिए देवभाषा एक सार्वजानिक भाषा हो गई ,अब हम उसी राह पर चलते हैं ,जिस पर सभी चलते हैं | भाव -धन की बहुलता ने सभी को बदल दिया है ,यदि कुछ हैं भी तो नगण्य के बराबर ही हैं ,जरुरत है समझने की और समझाने की |>आगे कल <
निवेदक -झा शास्त्री मेरठ |