भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि "

                    "संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि "
संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी महाकवि "कालिदास" के समतुल्य ही थे |
विशेषता -"भारवेअर्थगोरवं"-अर्थ की गोरवता के लिये आप जाने जाते हैं | -रचना -किरातार्जुनीय महाकाव्य है | आज हम माता पिता का सम्मान करते हैं या वो हमारे साथ चलने को मजबूर होते  हैं ,कुछ प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं |भारवि जी का सम्मान संसार के सभी लोग करते थे .किन्तु -पिता उनका अपमान ही किया करते थे | एक दिन "भारवि जी को क्रोध आया, और उन्होंने यह निश्चय कीये, कि आज हम अपने पिता की हत्या कर देंगें, न ये रहेंगें, और न ही हमारा अपमान ही होगा | संयोग से अश्त्र लेकर घर में छुप गये, कि जब पिताजी घर आयेंगें तो उनकी गर्दन उड़ा दूंगा | पिता जी आये, किन्तु आंगन में खड़े हुए ,उसी क्षण माँ ने प्रशन किया? कि अपना पुत्र इतना विद्वान है ,सभी उसका सम्मन करते हैं किन्तु आपही हैं,जो उसका अपमान करते हैं| -इसपर उन्होंने कहा कि -हे  देवी ? हम जानते हैं कि हमारा पुत्र विद्वान है, परन्तु हम जान बुझकर उसका अपमान इसलिए करते हैं, कि वो और आगे बढे ,यदि हम भी सम्मान करने लगेंगें तो वो और आगे नहीं बढ़ पायेगा | जब यह बात "भरविजी ने सुनी, तो पिता के चरणों में गिर पड़े| क्षमा याचना की, और उनको दंड यह मिला कि -आप अपनी ससुराल में बकरी १४ साल तक चरायेंगें |इस दंड को स्वीकार किया ,और पत्नी के साथ बकरी चराते रहे ,और उन १४ साल में इस ग्रन्थ की रचना की -किरातार्जुनीय महाकाव्य " इसी ग्रन्थ की रचना से उनका भरण पोषण भी होता रहा ,आपलोगों को पत्ता होगा, कि धामिक जगह पर पहले शलोक लिखे जाते थे ,और सभी लोग पढ़कर उस पथ पर चलने की कोशिश भी करते थे | इस ग्रन्थ का पहला- शलोक था - "सहसा विदधीत न किरियाम".कोई कार्ज़ अनायास नहीं करना चाहिए| अर्थात बिचारकर करना चाहिए -क्योकि आपको पत्ता है भरविजी ने भी यही किया था| जिसका परिणाम उन्हें भोगना पड़ा |इस पुरे ग्रन्थ में हमें ये देखने को मिलता है, कि हम क्या करें ,और क्या न करें |भाव -जीवन में हमलोगों से बहुत से कार्ज़ इस प्रकार के हो जाते हैं ,जो नहीं होना चाहिए | अतः कभी समय मिले तो इस प्रकार के ग्रंथों का भी अध्ययन करना चाहिए | निवेदक -झा शास्त्री मेरठ |

4 टिप्‍पणियां:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि "

संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी महाकवि "कालिदास" के समतुल्य ही थे |

विशेषता -"भारवेअर्थगोरवं"-अर्थ की गोरवता के लिये आप जाने जाते हैं | -रचना -किरातार्जुनीय महाकाव्य है | आज हम माता पिता का सम्मान करते हैं या वो हमारे साथ चलने को मजबूर होते हैं ,कुछ प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं |भारवि जी का सम्मान संसार के सभी लोग करते थे .किन्तु -पिता उनका अपमान ही किया करते थे | एक दिन "भारवि जी को क्रोध आया, और उन्होंने यह निश्चय कीये, कि आज हम अपने पिता की हत्या कर देंगें, न ये रहेंगें, और न ही हमारा अपमान ही होगा | संयोग से अश्त्र लेकर घर में छुप गये, कि जब पिताजी घर आयेंगें तो उनकी गर्दन उड़ा दूंगा | पिता जी आये, किन्तु आंगन में खड़े हुए ,उसी क्षण माँ ने प्रशन किया? कि अपना पुत्र इतना विद्वान है ,सभी उसका सम्मन करते हैं किन्तु आपही हैं,जो उसका अपमान करते हैं| -इसपर उन्होंने कहा कि -हे देवी ? हम जानते हैं कि हमारा पुत्र विद्वान है, परन्तु हम जान बुझकर उसका अपमान इसलिए करते हैं, कि वो और आगे बढे ,यदि हम भी सम्मान करने लगेंगें तो वो और आगे नहीं बढ़ पायेगा | जब यह बात "भरविजी ने सुनी, तो पिता के चरणों में गिर पड़े| क्षमा याचना की, और उनको दंड यह मिला कि -आप अपनी ससुराल में बकरी १४ साल तक चरायेंगें |इस दंड को स्वीकार किया ,और पत्नी के साथ बकरी चराते रहे ,और उन १४ साल में इस ग्रन्थ की रचना की -किरातार्जुनीय महाकाव्य " इसी ग्रन्थ की रचना से उनका भरण पोषण भी होता रहा ,आपलोगों को पत्ता होगा, कि धामिक जगह पर पहले शलोक लिखे जाते थे ,और सभी लोग पढ़कर उस पथ पर चलने की कोशिश भी करते थे | इस ग्रन्थ का पहला- शलोक था - "सहसा विदधीत न किरियाम".कोई कार्ज़ अनायास नहीं करना चाहिए| अर्थात बिचारकर करना चाहिए -क्योकि आपको पत्ता है भरविजी ने भी यही किया था| जिसका परिणाम उन्हें भोगना पड़ा |इस पुरे ग्रन्थ में हमें ये देखने को मिलता है, कि हम क्या करें ,और क्या न करें |भाव -जीवन में हमलोगों से बहुत से कार्ज़ इस प्रकार के हो जाते हैं ,जो नहीं होना चाहिए | अतः कभी समय मिले तो इस प्रकार के ग्रंथों का भी अध्ययन करना चाहिए | निवेदक -झा शास्त्री मेरठ |

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत अच्छी प्रेरणादायक पोस्ट|

दीपक 'मशाल' ने कहा…

हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है.. निवेदन है कि ऐसे ही शानदार पोस्ट लिखकर हिन्दी की सेवा करते रहिये. शब्द पुष्टिकरण(word verification) हटा लीजिये इससे पाठकों को काफी असुविधा होती है..

संगीता पुरी ने कहा…

इस सुंदर से नए चिट्ठों के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!