भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शनिवार, 18 सितंबर 2010

"अनुभव अपना -अपना "

   
आज हम सम्मुखी करण के वाद ही विवाह के लिए अनुमति देते हैं ,किन्तु प्राचीन काल में कुंडलियों के द्वारा ही हमें यह आभास  हो जाता था , की वधु कैसी है एवं हमारे परिवार में समाहित हो पायेगी या नहीं | आइये उस प्राचीन तकनिकी का स्पर्श करने की कोशिश करते हैं |
कुंडली में द्वादश भाव होते हैं ,जिसमें प्रथन भाव को लग्न कहते हैं | हमें लग्न के द्वारा जातक की आकृति ,रंग ,कद एवं स्वाभाव की जानकारी मिलती है | लग्न में जितने ग्रह होंगें बदलाव भी जातक के उतने ही होंगें |
[१]-मेष ,वृश्चिक सिंह ,के जातक स्वाभाव के धनी रूपवान ,लम्बे कद के प्रायः होते हैं ,किन्तु इनका सभी के साथ सामंजस नहीं हो पाता है | ये अपने अनुकूल स्वभाव वालों के साथ ही रहना पसंद करते हैं |
[२]-धनु ,मीन ,कर्क .कन्या ,मिथुन ,वृष एवं तुला लग्न के जातको का -रंग .रूप .व्यवहार .एवं कद ये सभी गुणों से संपन्न होते हैं ,सभी के साथ निभाना और वाक्पटुता में अत्यधिक निपुण होते हैं ,यदि इनके साथ पापी ग्रह नहीं हों तो |
[३]-मकर ,कुम्भ  राशी के जातक  श्याम वर्ण के होते हैं ,किन्तु यदि इनके साथ देव ग्रह विराजमान हो तो रंग का परिवर्तन भी हो जाताहै | यह स्वभाव ,रंग एवं सामंजस तो सभी के साथ कर तो लेते हैं किन्तु धीमीगति के करण विवाद से युक्त हो जाते हैं ,और निभाना मिश्किल हो जाता है |
भाव >यदि जातक  का समय  सही है तो फलित में अंतर नहीं आता है| अतः यह फलित राशी से नहीं देखें वल्कि कुंडलियों से विचार करें |
भवदीय -झा शास्त्री [मेरठ ]

1 टिप्पणी:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

"अनुभव अपना -अपना "आज हम सम्मुखी करण के वाद ही विवाह के लिए अनुमति देते हैं ,किन्तु प्राचीन काल में कुंडलियों के द्वारा ही हमें यह आभास हो जाता था , की वधु कैसी है एवं हमारे परिवार में समाहित हो पायेगी या नहीं | आइये उस प्राचीन तकनिकी का स्पर्श करने की कोशिश करते हैं |
कुंडली में द्वादश भाव होते हैं ,जिसमें प्रथन भाव को लग्न कहते हैं | हमें लग्न के द्वारा जातक की आकृति ,रंग ,कद एवं स्वाभाव की जानकारी मिलती है | लग्न में जितने ग्रह होंगें बदलाव भी जातक के उतने ही होंगें |
[१]-मेष ,वृश्चिक सिंह ,के जातक स्वाभाव के धनी रूपवान ,लम्बे कद के प्रायः होते हैं ,किन्तु इनका सभी के साथ सामंजस नहीं हो पाता है | ये अपने अनुकूल स्वभाव वालों के साथ ही रहना पसंद करते हैं |
[२]-धनु ,मीन ,कर्क .कन्या ,मिथुन ,वृष एवं तुला लग्न के जातको का -रंग .रूप .व्यवहार .एवं कद ये सभी गुणों से संपन्न होते हैं ,सभी के साथ निभाना और वाक्पटुता में अत्यधिक निपुण होते हैं ,यदि इनके साथ पापी ग्रह नहीं हों तो |
[३]-मकर ,कुम्भ राशी के जातक श्याम वर्ण के होते हैं ,किन्तु यदि इनके साथ देव ग्रह विराजमान हो तो रंग का परिवर्तन भी हो जाताहै | यह स्वभाव ,रंग एवं सामंजस तो सभी के साथ कर तो लेते हैं किन्तु धीमीगति के करण विवाद से युक्त हो जाते हैं ,और निभाना मिश्किल हो जाता है |
भाव >यदि जातक का समय सही है तो फलित में अंतर नहीं आता है| अतः यह फलित राशी से नहीं देखें वल्कि कुंडलियों से विचार करें |
भवदीय -झा शास्त्री [मेरठ ]