भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

रविवार, 19 सितंबर 2010

"अनुभव और निदान "

                                   "अनुभव और निदान "
हमें यदि धन की जानकारी करनी हो तो हम कुंडली के द्वितीय भाव से करते हैं | आइये जानने की कोशिश करते हैं ,हमारे पास धन कितना होगा ,और किस प्रकार से मिलेगा |
[१]-वृष ,तुला मिथुन ,कन्या  यदि द्वितीय भाव में हो एवं बुद्ध या शुक्र ग्रह विराजमान हों तो ,संगीत ,कला ,राजनीति,तथा हलकी वस्तु के व्यापर से  हमें धन की प्राप्ति होगी |
[२]-मेष ,वृश्चिक ,सिंह ,तथा कर्क राशी यदि इन भावों में हो और साथ ही ,सूर्य ,चंद्र .एवं मंगल भी विराजमान हों तो -जमीन ,उद्योग ,काष्ठ,शीशा ,वस्त्र ,राजनीति एवं भरी वस्तुओं के व्यापर से धन का आगमन होता है |
[३]-मकर ,कुम्भ .धनु .एवं मीन राशी होने पर  चमड़ा ,चान्दी ,सोना लोहा ,कारखाना  मत्रीपद ,एवं स्थूल वस्तु के व्यापर से धन संचय होता है ,यदि इन्हीं भावों में शनि .या गुरु विराजमान हों तो |
भाव -आज के युग में नाना प्रकार के व्यापर के साधन हो गए हैं ,परन्तु यदि दुसरे भाव में जो राशी एवं ग्रह विराजमान हों तो व्यापर का प्रयास भी इसी अनुसार करने से विशेष लाभ मिलेगा |>आगे कल <निवेदक झा शास्त्री मेरठ |

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