भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

मंगलवार, 21 सितंबर 2010

"अनुभव और निदान "

                           " अनुभव और निदान "
शांडिल्य ऋषि ने कर्मकांड का प्रतिपादन किया | हमारी  संतान सुन्दर ,सुसभ्य ,कर्मठ ,बलवान ,नीतिनिपुण अर्थात सभी गुणों से संपन्न किस प्रकार से हो ,इसके लिए षोडश [१६] संस्कार की विवेचना वेदों में की गयी है | हम अज्ञानता वश या मार्मिक बात  होने के कारण, इस पर विचार नहीं करते, जिस कारण से आने वाले वंशजों को भी यह ज्ञान नहीं प्राप्त होता है | प्राचीन काल में दादी नानी, एवं अग्र्जोंके द्वारा हमें सारी विधियों की जानकारी होती थी ,किन्तु अब परिवार छोटा और अलग होने से न हमें कोई उपदेश   देता न हम किसी की सुनते ,यही कारण है ,कि हम संस्कार विहीन होते जा रहे हैं एवं सम्पन्नता होने के वाद भी हम दुखी रहते हैं | >प्रथम संस्कार का नाम है ="गर्भाधान संस्कार " इस संस्कार के द्वारा हमें संतान तो अच्छी मिलती ही है साथ ही साथ हमें पुत्र या पुत्री जो भी चाहिए वो भी हमें प्राप्त हो सकती है | जरुरत है जानने की और अपनी संतानों को समझाने की | विवाह के उपरांत  जब हमें संतान कि ईच्छा हो तो हमें गुरुजनों से विचार कर इस संस्कार को अपनाना चाहिए जिससे संतान उत्तम होगी तो आप भी अच्छे रहेंगें |> आगे काल <
भवदीय निवेदक  झा शास्त्री मेरठ |

1 टिप्पणी:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

" अनुभव और निदान "
शांडिल्य ऋषि ने कर्मकांड का प्रतिपादन किया | हमारी संतान सुन्दर ,सुसभ्य ,कर्मठ ,बलवान ,नीतिनिपुण अर्थात सभी गुणों से संपन्न किस प्रकार से हो ,इसके लिए षोडश [१६] संस्कार की विवेचना वेदों में की गयी है | हम अज्ञानता वश या मार्मिक बात होने के कारण, इस पर विचार नहीं करते, जिस कारण से आने वाले वंशजों को भी यह ज्ञान नहीं प्राप्त होता है | प्राचीन काल में दादी नानी, एवं अग्र्जोंके द्वारा हमें सारी विधियों की जानकारी होती थी ,किन्तु अब परिवार छोटा और अलग होने से न हमें कोई उपदेश देता न हम किसी की सुनते ,यही कारण है ,कि हम संस्कार विहीन होते जा रहे हैं एवं सम्पन्नता होने के वाद भी हम दुखी रहते हैं | >प्रथम संस्कार का नाम है ="गर्भाधान संस्कार " इस संस्कार के द्वारा हमें संतान तो अच्छी मिलती ही है साथ ही साथ हमें पुत्र या पुत्री जो भी चाहिए वो भी हमें प्राप्त हो सकती है | जरुरत है जानने की और अपनी संतानों को समझाने की | विवाह के उपरांत जब हमें संतान कि ईच्छा हो तो हमें गुरुजनों से विचार कर इस संस्कार को अपनाना चाहिए जिससे संतान उत्तम होगी तो आप भी अच्छे रहेंगें |> आगे काल <
भवदीय निवेदक झा शास्त्री मेरठ |