भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शनिवार, 25 सितंबर 2010

"हम और ,हमारे संस्कार "

                                                     "हम और हमारे संस्कार "
"नामकरण संस्कार"= जब जातक पृथ्वी पर अवतरित होता है ,तो हम उसका "नाम कारण संस्कार" करते हैं |
अपनी वैदिक परम्पराओं में ,बालक का नाम कुंडली के अनुसार जो होता है, वो गुप्त ही प्रायः रहता है -कारण कि जो भी घटना घटेगी, वो तत्काल जानकारी मिल जाती है ,और कोई भी माता पिता उसे सहन नहीं कर पाते हैं ,इसलिए कुंडली संस्कृत भाषा में बनायीं जाती है | जो विख्यात नाम होते हैं , वो प्रायः भगवान के नाम से रखे जाते हैं | अभिप्राय यह होता है कि भगवान के नाम की महत्ता यह होती है कि बड़े से बड़े संकट को टालने का कार्ज तो भगवानजी ही कर सकते हैं |[२]-दूसरा अभिप्राय यह होता है ,कि हम तो शायद हरी का नाम सोचकर लेगें ,किन्तु यदि हमारे घर के बच्चों का नाम भगवानजी के नाम के अनुसार हो ,तो संतान का कल्याण तो होगा ही ,साथ ही जो भी नाम का स्मरण करेगा ,तो याद करते ही दोनों फल प्राप्त होंगें | यह संस्कार १० दिन के उपरांत करना चाहिए | यदि जातक का जन्म मूल नक्षत्र  में हुआ हो, तो २८ वे दिन करना चाहिए  | पूर्ण शुद्धि कारण सवा महिना  माना गया है | भाव -आज हम सभी संस्कारों को अपने अनुसार करते हैं ,जो शास्त्रों  के विपरीत होते हैं ,यदि संस्कार ही उत्तम नहीं होंगें ,तो संताने उत्तम नहीं हो पाएंगीं | 
निवेदक झा शास्त्री मेरठ |

1 टिप्पणी:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

"हम और हमारे संस्कार "

"नामकरण संस्कार"= जब जातक पृथ्वी पर अवतरित होता है ,तो हम उसका "नाम कारण संस्कार" करते हैं |

अपनी वैदिक परम्पराओं में ,बालक का नाम कुंडली के अनुसार जो होता है, वो गुप्त ही प्रायः रहता है -कारण कि जो भी घटना घटेगी, वो तत्काल जानकारी मिल जाती है ,और कोई भी माता पिता उसे सहन नहीं कर पाते हैं ,इसलिए कुंडली संस्कृत भाषा में बनायीं जाती है | जो विख्यात नाम होते हैं , वो प्रायः भगवान के नाम से रखे जाते हैं | अभिप्राय यह होता है कि भगवान के नाम की महत्ता यह होती है कि बड़े से बड़े संकट को टालने का कार्ज तो भगवानजी ही कर सकते हैं |[२]-दूसरा अभिप्राय यह होता है ,कि हम तो शायद हरी का नाम सोचकर लेगें ,किन्तु यदि हमारे घर के बच्चों का नाम भगवानजी के नाम के अनुसार हो ,तो संतान का कल्याण तो होगा ही ,साथ ही जो भी नाम का स्मरण करेगा ,तो याद करते ही दोनों फल प्राप्त होंगें | यह संस्कार १० दिन के उपरांत करना चाहिए | यदि जातक का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ हो, तो २८ वे दिन करना चाहिए | पूर्ण शुद्धि कारण सवा महिना माना गया है | भाव -आज हम सभी संस्कारों को अपने अनुसार करते हैं ,जो शास्त्रों के विपरीत होते हैं ,यदि संस्कार ही उत्तम नहीं होंगें ,तो संताने उत्तम नहीं हो पाएंगीं |

निवेदक झा शास्त्री मेरठ |