"मुंडन संस्कार "
संस्कार शब्द का भाव है -सम सरति इति "संस्कारः | जो हमें आगे ले चले | प्रायः सनातन धर्म में केवल "मुंडन संस्कार " तक सभी समुदाय के लोग एक ही क्रम से चलते हैं | इस लिये कहा गया है ,"जन्मना जायते द्विजः ,कर्मना जायते शूद्रः" जन्म से सभी द्विज होते हैं ,समयानुसार कर्म के द्वारा वही शुद्र भी बन जाता है | जब "माँ " के गर्भ में हम आते हैं ,और जबतक मुंडन संस्कार होता है, तब तक एक होते हैं ,किन्तु स्थूल शरीर में जब माया का प्रवेश होता है .तो हमारे कर्म ही हमें अलग करते रहते हैं | -आज हम अपने संस्कारों को विस्मृत करते जाते हैं , जिस कारण से हमारा पतन ही हो रहा है | यह "मुंडन संस्कार " प्रथम ,तृतीय या पंचम वर्ष में करना चाहिए | किन्तु लोग समयाभाव के कारण , यह संकर तो करते हैं ,पर बहुत जल्दी करते हैं ,जिस कारण से हमारे जातकों की मस्तिक रेखा प्रवल नहीं हो पाती है | आज हम जो कुछ भी करते हैं ,अपनी संतानों के लिये ही करते हैं ,किन्तु जब हमारी संताने -स्वस्थ, ही नहीं होगीं, तो शिक्षा ,संपत्ति ,में धन लगाने से क्या होगा | भाव -हमारे महर्षियों ने "षोडश संस्कार" का निर्माण हमारी प्रगति के लिये बनाये ,किन्तु हम कुछ अज्ञानतावश और कुछ जानबुझकर भी उनको नहीं अपनाते हैं | जरुरत है जानकारी की |हम वो शिक्षा तो ग्रहण करते हैं ,जो बाहरी रूप से तो हमें देखने में बढियां सी प्रतीत होती है किन्तु अन्दर से खोखली होती है | हमसे जहाँ है ,जब हम ही नहीं होंगें तो जहाँ का क्या फायदा |
[प्रिय, मित्र बंधू नमस्कार |
हम कोई कवि या लेखक नहीं हैं| हम तो आप तक ,.आप ही की वस्तु को पहुँचाना चाहते हैं -परत्येक जातक को ६ कर्म करने चाहिए [१ +2] दान लेना चाहिए ,और दान देना भी चाहिए |[३ +4]-पढना चाहिए और पढ़ना भी चाहिए | [५+६]-यज्ञ करना चाहिए और यज्ञ करना भी चाहिए |
सो हम भी ये कर्म करना चाहते हैं ,हो सके तो आपलोग भी करें.?
भवदीय निवेदक झा शास्त्री
किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट [ मेरठ ]
संपर्कसूत्र -९८९७७०१६३६.९३५८८८५६१६.
-एकबार सभी मित्रों को निःशुल्क ज्योतिष सेवा संपर्क सूत्र से मिलेगी । -आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
-
"कुम्भ राशि-के जातक के स्वभाव और प्रभाव ?" इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊँचा ,अवयव बडे,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ...
-
"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि " संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी म...
-
"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?" जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित ...
-
"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?" --ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ...
-
"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -20-06 से 3-062012-तक ?" --मास में पांच मंगलवार का फल उत्तम नहीं है ---- "यत्र...
-
---मकर एवं कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि "कालसर्पयोग "हो तो --वैसे जातक खनिज ,पेट्रोलियम ,एसिड ,कोयला ,मेडिकल या केमिकल क्षेत्र मे...
-
"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?" --रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती...
-
--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा | -----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त ...
"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }
-
"कुम्भ राशि-के जातक के स्वभाव और प्रभाव ?" इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊँचा ,अवयव बडे,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ...
-
"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि " संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी म...
-
"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?" जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित ...
-
"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?" --ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ...
-
"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -20-06 से 3-062012-तक ?" --मास में पांच मंगलवार का फल उत्तम नहीं है ---- "यत्र...
-
---मकर एवं कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि "कालसर्पयोग "हो तो --वैसे जातक खनिज ,पेट्रोलियम ,एसिड ,कोयला ,मेडिकल या केमिकल क्षेत्र मे...
-
"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?" --रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती...
-
--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा | -----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त ...
शनिवार, 16 अक्तूबर 2010
"मुंडन संस्कार "
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
"मुंडन संस्कार "
संस्कार शब्द का भाव है -सम सरति इति "संस्कारः | जो हमें आगे ले चले | प्रायः सनातन धर्म में केवल "मुंडन संस्कार " तक सभी समुदाय के लोग एक ही क्रम से चलते हैं | इस लिये कहा गया है ,"जन्मना जायते द्विजः ,कर्मना जायते शूद्रः" जन्म से सभी द्विज होते हैं ,समयानुसार कर्म के द्वारा वही शुद्र भी बन जाता है | जब "माँ " के गर्भ में हम आते हैं ,और जबतक मुंडन संस्कार होता है, तब तक एक होते हैं ,किन्तु स्थूल शरीर में जब माया का प्रवेश होता है .तो हमारे कर्म ही हमें अलग करते रहते हैं | -आज हम अपने संस्कारों को विस्मृत करते जाते हैं , जिस कारण से हमारा पतन ही हो रहा है | यह "मुंडन संस्कार " प्रथम ,तृतीय या पंचम वर्ष में करना चाहिए | किन्तु लोग समयाभाव के कारण , यह संकर तो करते हैं ,पर बहुत जल्दी करते हैं ,जिस कारण से हमारे जातकों की मस्तिक रेखा प्रवल नहीं हो पाती है | आज हम जो कुछ भी करते हैं ,अपनी संतानों के लिये ही करते हैं ,किन्तु जब हमारी संताने -स्वस्थ, ही नहीं होगीं, तो शिक्षा ,संपत्ति ,में धन लगाने से क्या होगा | भाव -हमारे महर्षियों ने "षोडश संस्कार" का निर्माण हमारी प्रगति के लिये बनाये ,किन्तु हम कुछ अज्ञानतावश और कुछ जानबुझकर भी उनको नहीं अपनाते हैं | जरुरत है जानकारी की |हम वो शिक्षा तो ग्रहण करते हैं ,जो बाहरी रूप से तो हमें देखने में बढियां सी प्रतीत होती है किन्तु अन्दर से खोखली होती है | हमसे जहाँ है ,जब हम ही नहीं होंगें तो जहाँ का क्या फायदा |
[प्रिय, मित्र बंधू नमस्कार |
हम कोई कवि या लेखक नहीं हैं| हम तो आप तक ,.आप ही की वस्तु को पहुँचाना चाहते हैं -परत्येक जातक को ६ कर्म करने चाहिए [१ +2] दान लेना चाहिए ,और दान देना भी चाहिए |[३ +4]-पढना चाहिए और पढ़ना भी चाहिए | [५+६]-यज्ञ करना चाहिए और यज्ञ करना भी चाहिए |
सो हम भी ये कर्म करना चाहते हैं ,हो सके तो आपलोग भी करें.?
भवदीय निवेदक झा शास्त्री
किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट [ मेरठ ]
संपर्कसूत्र -९८९७७०१६३६.९३५८८८५६१६.
एक टिप्पणी भेजें