भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

रविवार, 17 अक्तूबर 2010

"हम और," "दुर्गा सप्तशती "

                                          "हम और,"  "दुर्गा सप्तशती "
साल में चार नवरात्रें होते हैं, ये शायद बहुत कम लोगों को पत्ता होता है | सर्वोत्तम माह महिना की नवरात्री की मान्यता है | किन्तु क्रम इस प्रकार है -चैत्र ,आषाढ़ ,आश्विन ,और माह | प्रायः "उत्तर भारत" में चैत्र एवं आश्विन की नवरात्री लोग विशेष धूम धाम से मानते हैं ,किन्तु "दक्षिण भारत "में आषाढ़ और माह की नव्रत्रियाँ विशेष प्रकार से लोग मनाते हैं| सच तो यह भी है, कि जिनको पत्ता है ,वो चारो नवरात्रियों में विशेष पूजन इत्यादि करते हैं | =दुर्गा अर्थात दुर्ग शब्द से दुर्गा बना है , दुर्ग =किला ,स्तंभ , शप्तशती अर्थात सात सौ | जिस ग्रन्थ को सात सौ श्लोकों में समाहित किया गया हो उसका नाम शप्तशती है | महत्व -जो कोई भी इस ग्रन्थ का अवलोकन एवं पाठ करेगा "माँ जगदम्बा" की उसके ऊपर असीम कृपा होगी | कथा - "सुरथ और "समाधी " नाम के राजा एवं वैश्य का मिलन किसी वन में होता है ,और वे दोनों अपने मन में विचार करते हैं, कि हमलोग राजा एवं सभी संपदाओं से युक्त होते हुए भी अपनों से विरक्त हैं ,किन्तु यहाँ वन में, ऋषि के आश्रम में, सभी जीव प्रसन्नता पूर्वक एकसाथ रहते हैं | यह आश्चर्य लगता है ,कि क्या कारण है ,जो गाय के साथ सिंह भी निवास करता है, और कोई भय नहीं है,[२]-एवं जब हमें अपनों ने परित्याग कर दिए, तो फिर अपनों की याद क्यों आती है | वहाँ ऋषि के द्वारा यह ज्ञात होता है ,कि यह उसी " महामाया " की कृपा है ,सो  पुनः ये दोनों " दुर्गा" की आराधना करते हैं ,और "शप्तशती " के बारहवे अध्याय में आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ,और अपने परिवार से युक्त भी हो जाते हैं |   भाव -जो कोई भी" माँ जगदम्बा "की शरण लेगा ,उसके ऊपर माँ की असीम कृपा होगी ,संसार की समस्त बाधा  का निवारण करेंगीं - अतः सभी को "दुर्गा शप्तशती " का पाठ तो करने ही चाहिए ,और इस ग्रन्थ को अपने कुलपुरोहित से जानना भी चाहिए |
निवेदक "झा शास्त्री मेरठ |
सम्पर्कसूत्र ९८९७७०१६३६.९३५८८८५६१६.     

1 टिप्पणी:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

"हम और," "दुर्गा सप्तशती "

साल में चार नवरात्रें होते हैं, ये शायद बहुत कम लोगों को पत्ता होता है | सर्वोत्तम माह महिना की नवरात्री की मान्यता है | किन्तु क्रम इस प्रकार है -चैत्र ,आषाढ़ ,आश्विन ,और माह | प्रायः "उत्तर भारत" में चैत्र एवं आश्विन की नवरात्री लोग विशेष धूम धाम से मानते हैं ,किन्तु "दक्षिण भारत "में आषाढ़ और माह की नव्रत्रियाँ विशेष प्रकार से लोग मनाते हैं| सच तो यह भी है, कि जिनको पत्ता है ,वो चारो नवरात्रियों में विशेष पूजन इत्यादि करते हैं | =दुर्गा अर्थात दुर्ग शब्द से दुर्गा बना है , दुर्ग =किला ,स्तंभ , शप्तशती अर्थात सात सौ | जिस ग्रन्थ को सात सौ श्लोकों में समाहित किया गया हो उसका नाम शप्तशती है | महत्व -जो कोई भी इस ग्रन्थ का अवलोकन एवं पाठ करेगा "माँ जगदम्बा" की उसके ऊपर असीम कृपा होगी | कथा - "सुरथ और "समाधी " नाम के राजा एवं वैश्य का मिलन किसी वन में होता है ,और वे दोनों अपने मन में विचार करते हैं, कि हमलोग राजा एवं सभी संपदाओं से युक्त होते हुए भी अपनों से विरक्त हैं ,किन्तु यहाँ वन में, ऋषि के आश्रम में, सभी जीव प्रसन्नता पूर्वक एकसाथ रहते हैं | यह आश्चर्य लगता है ,कि क्या कारण है ,जो गाय के साथ सिंह भी निवास करता है, और कोई भय नहीं है,[२]-एवं जब हमें अपनों ने परित्याग कर दिए, तो फिर अपनों की याद क्यों आती है | वहाँ ऋषि के द्वारा यह ज्ञात होता है ,कि यह उसी " महामाया " की कृपा है ,सो पुनः ये दोनों " दुर्गा" की आराधना करते हैं ,और "शप्तशती " के बारहवे अध्याय में आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ,और अपने परिवार से युक्त भी हो जाते हैं | भाव -जो कोई भी" माँ जगदम्बा "की शरण लेगा ,उसके ऊपर माँ की असीम कृपा होगी ,संसार की समस्त बाधा का निवारण करेंगीं - अतः सभी को "दुर्गा शप्तशती " का पाठ तो करने ही चाहिए ,और इस ग्रन्थ को अपने कुलपुरोहित से जानना भी चाहिए |

निवेदक "झा शास्त्री मेरठ |

सम्पर्कसूत्र ९८९७७०१६३६.९३५८८८५६१६.