भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 1 दिसंबर 2010

"सर्वगुण संपन्न होते हुए भी असफलता मिलती है "

       "सर्वगुण संपन्न होते हुए भी असफलता मिलती है "
हमलोग परिश्रम के वाद सफलता की कामना करते हैं और करनी भी चाहिए किन्तु  बहुत से महान लोग सर्व गुण संपन्न होते हुए भी असफलता से उदास नहीं हुए | आइये अबलोकन करते हैं -हमलोगों ने महा कवि कालिदास के विषय में बहुत कुछ कथाएं सुनी हैं ,किन्तु इनसे भी जो बड़े महान कवि हुए हैं उनको जानते तक नहीं हैं 
"उपमा काली दासस्य -"|महा कवि कालिदास की विशेषता यह थी की वो उपमा के महान जनक थे ,अर्थात जिस प्रकार से आधुनिक समय में लोग श्रींगार रस से ओत प्रोत हो जाते हैं ,लोगो को ,मान ,मर्यादा,प्रतिष्ठा ,संस्कार ये शब्द उतने उपयुक्त नहीं लगते हैं ,जितने श्रींगार से भरे हुए शब्द लगते हैं,"भारवे  अर्थ गौरवं"- महा कवि भारवि की विशेषता थी कि जो भी भी लिखते थे -उसका अर्थ उपयुक्त सा लगता था अर्थात -उनके लिखे शब्दों को आप निःसंकोच समझ सकते हैं |"दन्दिनाहपदलालित्यम"-महा कवि डंडी भी हुए ,जिनकी विशेषता थी कि वो जो भी लिखते थे वो भाव प्रिय शब्द लगते थे ,अर्थात उनके भाव सभी को सरस सा प्रतीत होता था |"माघे सन्ति त्र्योगुनाह " जी हाँ ? महा कवि "माघजी"सर्व गुण संपन्न हुए ,किन्तु लोग उनको उतना जानते तक नहीं हैं | किसी भी ग्रन्थ की रचना में बहुत सी बातें देखी जाती हैं | जो इस महान कवि में सारी बातें उपलब्ध थी ,किन्तु कभी आप निराश नहीं हुए ,इतना ही नहीं आपने एक महान ग्रन्थ की रचना भी की, जिसका विवरण हम कल के लेख में उकेरेंगें |भाव मित्र बन्धु -हमें निराश नहीं होना चाहिए और साथ ही अपने अमुलय्जीवन का सही उपयोग भी करते रहना चाहिए ||   भवदीय निवेदक "झा शास्त्री  [मेरठ ]   

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