"मंगली दोष और परिहार !"
दाम्पत्य सुख उत्तम हो यह तो सभी चाहते हैं ,परन्तु चाहना और उस पथ पर चलना बहुत ही कठिन है -क्योंकि जब संतान तरुण अवस्था की होती है तो अभिभावक चिंतीत हो जाते हैं , और उनका प्रयास यही रहता है ,कि हम भले ही सुखी न रहें किन्तु हमारे बच्चे जरुर सुखी रहें -इसलिए कुंडली का मिलान कराते हैं -दोष रहित विवाह का प्रयास करते हैं || जब हमारे महर्षिगण -ज्योतिष का विवेचन करते थे -तो वो समस्त संसार लिये चिंतित होते थे-=वास्तविक रूप से देखा जाय तो -मंगली दोष का अर्थ है -जीवन में कड़वाहट या दो विवाह के योग -कभी लोग कई विवाह करते थे -परन्तु सम्प्रति सनातम धर्म के अनुयायी दो विवाह को उपयुक्त नहीं मानते हैं || परन्तु -आधुनिक तकनीकी के आ जाने से -अभिभावक से विशेष -जातक और जातिका ही चिंतित अत्यधिक होते है -चिंतित होते तो सही था -परन्तु करते भी वही हैं ,जो उनको अच्चा लगता है =क्योकि -[कामार्ता ही प्रकृत क्रिप्नाश चेतना चेत नेशु ] -तरुण अवस्था में जब लोग काम पीड़ित होते हैं -तो उनकी चेतना समाप्त हो जाती है-उनको जो अच्चा लगता है वही करते हैं न कि समाज और परिजनों का विचार करते हैं -परिणाम क्या होता है -जिसको सुख हम समझते हैं वो दुःख में बदल जाता है -और समाज में -एक प्रमाणिकता - हो जाती है ||भाव -मंगली दोष का परिहार से हमारा दाम्पत्य सुख उत्तम रहता है ,हम उपहास के योग्य नहीं होते हैं , हमलोग भी अपने माता पिता की तरह दाम्पत्य सुख से युक्त होंगें ,उपदेश देने के लिये नहीं होते हैं-उनका हमें पालन करना चाहिए तभी हम सुखी होंगें ,आइये हम आने वाले समाज और अपने बच्चों के लिये उत्तम विचार रखें ,विवाह से पूर्व-मंगली दोष की भी जानकारी रखें जिसमें हमारे हित छुपे हैं || राम राम ,नमस्कार,||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " ज्योतिष सेवा सदन [मेरठ उत्तर प्रदेश ]
निःशुल्क "ज्योतिष "सेवा रात्रि ८ से९ आमने सामने ||
संपर्क सूत्र 09897701636=09358885616
दाम्पत्य सुख उत्तम हो यह तो सभी चाहते हैं ,परन्तु चाहना और उस पथ पर चलना बहुत ही कठिन है -क्योंकि जब संतान तरुण अवस्था की होती है तो अभिभावक चिंतीत हो जाते हैं , और उनका प्रयास यही रहता है ,कि हम भले ही सुखी न रहें किन्तु हमारे बच्चे जरुर सुखी रहें -इसलिए कुंडली का मिलान कराते हैं -दोष रहित विवाह का प्रयास करते हैं || जब हमारे महर्षिगण -ज्योतिष का विवेचन करते थे -तो वो समस्त संसार लिये चिंतित होते थे-=वास्तविक रूप से देखा जाय तो -मंगली दोष का अर्थ है -जीवन में कड़वाहट या दो विवाह के योग -कभी लोग कई विवाह करते थे -परन्तु सम्प्रति सनातम धर्म के अनुयायी दो विवाह को उपयुक्त नहीं मानते हैं || परन्तु -आधुनिक तकनीकी के आ जाने से -अभिभावक से विशेष -जातक और जातिका ही चिंतित अत्यधिक होते है -चिंतित होते तो सही था -परन्तु करते भी वही हैं ,जो उनको अच्चा लगता है =क्योकि -[कामार्ता ही प्रकृत क्रिप्नाश चेतना चेत नेशु ] -तरुण अवस्था में जब लोग काम पीड़ित होते हैं -तो उनकी चेतना समाप्त हो जाती है-उनको जो अच्चा लगता है वही करते हैं न कि समाज और परिजनों का विचार करते हैं -परिणाम क्या होता है -जिसको सुख हम समझते हैं वो दुःख में बदल जाता है -और समाज में -एक प्रमाणिकता - हो जाती है ||भाव -मंगली दोष का परिहार से हमारा दाम्पत्य सुख उत्तम रहता है ,हम उपहास के योग्य नहीं होते हैं , हमलोग भी अपने माता पिता की तरह दाम्पत्य सुख से युक्त होंगें ,उपदेश देने के लिये नहीं होते हैं-उनका हमें पालन करना चाहिए तभी हम सुखी होंगें ,आइये हम आने वाले समाज और अपने बच्चों के लिये उत्तम विचार रखें ,विवाह से पूर्व-मंगली दोष की भी जानकारी रखें जिसमें हमारे हित छुपे हैं || राम राम ,नमस्कार,||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " ज्योतिष सेवा सदन [मेरठ उत्तर प्रदेश ]
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