भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शनिवार, 26 मार्च 2011

"शारीरिक अवयव और राशी मंडल ?"

         "शारीरिक अवयव और राशी मंडल ?"
मित्र प्रवर ,राम -राम ,नमस्कार |
            "ज्योतिष को नेत्र की उपाधि से विभूषित किया गया है| साथ ही हमारे अवयवों पर भी ज्योतिष के ग्रहों का प्रभाव पड़ता है ,यदि कुंडली के किसी भाव में शक्ति विहीन ग्रह हों तो -उस स्थान की पीड़ा हमें सहनी पड़ती है या किसी भाव में बलिष्ठ ग्रह हों - तो -उस स्थान या उस स्थान के अवयव हमें  प्रसन्नता  प्रदान करते हैं "!!    
                अस्तु -भचक्र में स्थित १२ राशियों के समस्त राशी -मंडल को एक बृहत् [विराट ]  काल पुरुष  मानते हुए -मेष -शिर ,वृष को-मुख ,मिथुन को बाहु  तथा गला या बक्षस्थल ,कर्क -को ह्रदय ,सिह को -पेट ,कन्या - राशी को-पेट का नीचे का भाग -कटी [कमर ],तुला को वस्ति ,तथा जननेंद्रिय ,वृश्चिक को गुदा ,धनु को -कुल्हे तथा जांघ ,मकर को घुटने ,कुम्भ को -पिंडलियाँ और मीन को पैर =यह शारीर के बाहरी अवयवों का विभाग है |
                =भीतरी अवयवों पर भी १२ राशियों का क्रमशः निम्नलिखित प्रकार से आधिपत्य पड़ता है या रहता है ||
          [१] मेष -मस्तिक [दिमाग ]|
           [२]-वृष -कंठ की नली [टांसिल ]
          [३]-मिथुन -फेफड़े  [स्वास लेना ]
           [४]-कर्क -पाचन शक्ति 
           [५]-सिह -ह्रदय |
           [६]-कन्या -अन्तरियां-[पेट के भीतर का निचला भाग ]
           [७]-तुला -गुर्दे 
            [८]-वृश्चिक -मूत्रेंद्रिय ,जननेंद्रिय |
            [९]धनु -अनायु -मंडल  तथा नसें  जिनमें रक्त प्रवाहित होता रहता है |
             [१०]-मकर -हड्डियाँ तथा अंगों के जोड़ |
             [११]-कुम्भ -रक्त तथा रक्त प्रवाह |
             [१२]-शारीर में सर्वत्र [सभी जगह ] कफोत्पादन |
भाव -जन्म के समय -जिस राशी में शुभ ग्रह होते हैं ,शारीर का वो भाव पुष्ट [सुन्दर ] होता है | जिस भाव में पापग्रह या नीच ग्रह होते हैं -शारीर का उससे से सम्बंधित भाग कृष या रोगयुक्त ,एवं पीड़ित होता है ||
      भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"
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