भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

"कर्क [राशि]-के जातकों के स्वभाव एवं प्रभाव [एक नजर ]?"

       "कर्क [राशि]-के जातकों के स्वभाव एवं प्रभाव [एक नजर ]?"
मित्रप्रवर ,[राम -राम ] नमस्कार |
      कभी -कभी आप उदास इसलिए हो जाते हैं -आपके पास [जन्म कुंडली ] अर्थात जन्म की सही जानकारी से अनभिग्य हैं,जब आपसे कोई जन्म का विवरण मांगता है तो आप और भी निरास हो जाते हैं | आइये आप आपकी अगर कर्क राशि है जन्माक्षर से या बोलते हुए नाम से -तो इन बातों का अवलोकन करें साथ ही अपने पथ पर अग्रसर रहने की चेष्टा करें ?
 अस्तु -इस राशि वाले जातक का मुख [चेहरा ]गोल और मोहक ,शारीर मध्यम ऊंचा व् पतला होता है |यह स्त्री कामी ,,तरंगी ,नाटकी ,निश्चिंत ,प्रेमपाश [रस्सी ] में पासकर निरर्थक धन का व्यय करने वाला ,मादक पदार्थों का व्यापारी होता है [इन क्षेत्रों में आसक्ति होती है ]|
              यह राशि सहानुभूति एवं सुकुमारता के साथ -साथ प्रजा ,सत्ता तथा मिलन सरिता की प्रतीक मानी जाती है | इसका स्थान उत्तर दिशा में है |यह विषुवत रेखा की ओर२४.०से २०.०तक संचरण करती है |यह सम है इसकी अवस्था बाल्य है|इसका वर्ण रक्त ,स्वेत हैं| रजो गुणी है|इसका जल तत्व है |रात्रि में यह बली रहती है|शुद्र जाति की है तथा तुच्छ भावनाओं की ओर उमुख रहती है |
               इस राशि के गमनकारी नक्षत्र पुनर्वसु ,पुष्य ,और आश्लेषा हैं |जो एक ही चरण में व्याप्त हैं |पुष्य नक्षत्र का उत्पन्न व्यक्ति धन और धर्म से युक्त होता है |पुत्र से संपन्न होता है ,पंडित शांत स्वभाव ,सुभग और सुखी होता है ,किन्तु -आश्लेषा का प्रतिफल इस फल का अपवाद है | तभी शास्त्रकारों ने यह उक्ति कही है --
             "सर्वभक्षी कृतांतश्च कृतघ्नो व्चकः खलः |
              आश्लेषायाम नरो जातः कृत कर्मा ही जायते ||
  इस कथन में अल्प संदेह नहीं है | आश्लेषा नक्षत्र में -उत्पन्न जातक [मनुष्य ]यमराज के तुल्य आचरण करनेवाला होता है ,क्योंकि यह  मूल नक्षत्र एवं इस राशि का चिन्ह केकड़ा है | इसी कारणयह राशि हर समय सजल और प्रबुल्ल रहती है ||
         भवदीय -निवेदक "झा शास्त्री " 
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