भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

" नव संवत्सर अर्थात नव वर्ष का अभिनन्दन !"

 " नव संवत्सर अर्थात नव वर्ष का अभिनन्दन !"
              "क्रोध्ब्दे निखिला लोकाः क्रोध लोभ परायणाः|
               इतिदोषेण सततं मध्य सस्यार्घ वृष्टयः||
आर्यावर्त की संस्कृति एवं संस्कार के अनुयायी ,समस्त मित्रवर ,नूतन संवत्सर ,[नववर्ष]  के आगमन पर हम  अभिनन्दन करते हैं ,  साथ ही -उन्नति ,प्रसन्नता की कामना भी !   राम - राम,नमस्कार , ||
         आंग्लभाषा [अंग्रेजी ] -का साल तो प्रारंभ हो चूका है ,सभी जानते हैं किन्तु हम अपनी ही संस्कृति से अनभिग्य होते जा रहे हैं | चैत्र मास की प्रतिपदा से नवसंवत्सर का प्रारंभ होता है -अंग्रेजी का -२०११ और संस्कृत का संवत्सर -२०६८ है | 
         अस्तु -इस संवत्सर का रजा चन्द्र एवं मंत्री गुरु हैं जो मित्रता के प्रतीक हैं ,जब आपस में प्रेम होता है तो प्रसन्नता भी आती है |  
     [१]-संवत्सर का नाम -क्रोधी है -तो ये बात भी पक्की है की सभी क्रोधी स्वाभाव के सालभर रहेंगें ,और क्रोध का कारण लोभ होता है -हो सके तो हमलोग लोभ कम करेंगें तो क्रोध स्वतः ही समाप्त या कम हो जायेगा -जिससे हमारा विकास होगा ||
 [२]-अन्न की स्थिति -टिड्डी ,कीटदोष,विषाक्त वायुमंडल -के कारण -अन्न ,खनिज पदार्थ कम उत्पन्न होंगें -क्योंकि इसके कारण भी हमहीं हैं -तो हो सके तो प्रकति के साथ चलें ||
[३]-वर्षा -जल के विना सब कुछ अधुरा रहेगा -परन्तु -वरुण देवता की यत्र -तत्र  मामूली कृपा बनी रहेगी -अतः जल का भी सम्मान करें ||
[४]-वस्तु-हमारी आवश्यकताएं इतनी बढ़ गयीं हैं कि पूर्ति ही नहीं हो पातीं हैं -"अन्नात भवति  पर्जन्नाया " जब अन्न कम होंगें [वस्तुएं कम होंगीं तो मंहगाई भी बधेंगीं ||
       भाव -ज्योतिष हमें इंगित करती है ,६ शाश्त्रों में ज्योतिष को नेत्र  की उपाधि मिली है -जिसे या जिसके द्वारा हम वर्तमान ,भूत ,भविष्य की जानकारी प्राप्त तो कर सकते हैं किन्तु जानकारी होना और उस पथ पर चलना इन बातों में बहुत ही अंतर है -ज्योतिष का अनुसरण कर्मकांड करता है अर्थात परीक्षक से परीक्षार्थी उत्तम हों तो परीक्षक को अति प्रसन्नता होती है ||
        हम पुनः ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री " अपने समस्त सनातन धर्म के अनुयायी मित्रों का नव संवत्सर के उपलक्ष में हार्दिक अभीनंदन करते हैं ,साथ ही हम सभी अपने पथ पर अग्रसर रहें यह कामना भी -माँ जगदम्बा से करते हैं ||
भवदीय निवेदक "जा शास्त्री" 
निःशुल्क "ज्योतिष " सेवा नवरात्र के कारण अभी दिनांक -04-०४-२०११ से१४-०४-२०११ तक नहीं मिल पायेगी -अवरोध के लिए हमें खेद है ||   

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