"आपकी राशि कन्या हो ? स्वभाव तथा प्रभाव भी यथावत होंगें !"
मित्रप्रवर ,राम -राम ,नमस्कार ||
आकी राशि यदि कन्या है ,आपका जन्माक्षर के नक्षत्र ये हैं -उत्तरफल्गुनी,हस्त ,एवं चित्र ,तो आपका स्वभाव और प्रभाव भी यथावत होंगें | आप चाहें तो इस राशि के अनुसार-अपने आपको परख सकते हैं ,सही रह का चयन भी कर सकते हैं ?!!
अस्तु -यह राशि पिंगल [पीत ] वर्ण ,स्त्री जाति ,द्विस्वभाव,दक्षिण दिशा की स्वामिनी ,रत्रिबली ,वायु और शीत प्रकृति ,पृथ्वी तत्व एवं अल्प संतान वाली होती है || इसका प्राकृतिक स्वभाव मिथुन जैसा है ,पर इसकी विशेषता इतनी है कि व्यक्ति अपनी उन्नति और मन पर पूर्ण ध्यान रखने की अथक चेष्टा [प्रयास ] करता है | इस राशि से पेट का विचार किया जाता है | इसका चिन्ह कुमारी कन्या है | यह राशि चिरस्थायी स्नेह एवं विवेक की प्रतीक है | यह विषुवत रेखा की ओर १२.०तक स्थिर है |\
यह क्रीडास्थली तथ शिल्प रचना के स्थानों पर विचरण करने वाली है | यह कोमल ,सौम्य ,चंचल एवं शांत दोनों प्रकार के लक्षणों से युक्त है | अवस्था इसकी बाल्य है| सत्व गुण है ,पृथ्वी तत्व है |वैसे यह राशि जनसेवा -स्वस्थ -सम्बन्धी कार्यक्रमों की अधिष्ठात्री शक्ति है |उत्तराफाल्गुनी के तीन चरण ,हस्त ,और चित्र के दो दो चरण इसमें निहित हैं |-उत्तराफाल्गुनी में जन्म लेने वाला व्यक्ति सहनशील,वीर ,कोमल वचन बोलने वाला ,धनुर्वेद के अर्थ को समझने वाला महान योद्धा एवं जन प्रिय होता है | चित्रा- का उस पर यह प्रभाव पड़ता है किवह स्त्री और पुत्र युक्त होता है ,सदैव संतुष्ट रहता है ,धन धन्य से संपन्न होता है |मिथ्या बोलने वाला ढीठ ,शराबी ,बंधुहीन, चोर और लम्पट होता है ,किन्तु फिर भी देवताओं और ब्राह्मणों का भक्त भी होता है ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री "
[नवरात्र के कारण सेवा से वंचित हैं -अतः हमें खेद है ]
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