"सिंह [राशि ]-के जातक "सूर्य की तरह प्रभावशाली होते हैं ?"
मित्रप्रवर -राम राम |
"सूर्य विश्व का सम्राट है ,तेजस्विता और ओज का द्योतक है |यह सर्व जीवन पर आधिपत्य करता है | यह रक्त और रक्त -प्रवाह पर अनुशासन रखता है | सूर्य की राजसी प्रकृति है | यह द्रुत और मांसल है |
इसलिए जो भी सिंह राशि के जातक होंगें -वो इन तमाम गुण और अवगुणों से युक्त होंगें |
अस्तु -इस राशि के जातक -अपमान का सहन नहीं कर पाते हैं ,उदासीनता भी पसंद नहीं है ,मान प्रतीष्ठा में यह अपना पूर्ण अंश चाहते हैं कि छोटी -छोटी बातें भी बड़े शिष्टाचार में हों ,व्यवस्थित रूप में संपन्न हों | सूर्य से प्रभावित ब्यक्ति [सिंह राशि वाले ]-सम्मान ,संपत्ति ,धन -दौलत एवं आदर -सत्कार में अपनी सर्वाधिक प्रतीष्ठा चाहते हैं | वो राजसी भोजन तथा भव्य परिवेश को अधिक पसंद करते हैं |अपने साथ अनुयायी वर्ग रखना उन्हें अच्चा लगता है |वो चापलूसी पसंद करते हैं और अपने अत्यधिक चाटुकारों को बड़े -बड़े उपहार देने में भी कोई संकोच नहीं करते हैं |
सिह राशि वाले -शीघ्र कुपति हो जाते हैं और उतनी ही शीघ्रता से उनका सम्मान अथवा उनकी चापलूसी भी की जा सकती है|किन्तु आसानी से वो किसी को माफ नहीं करते हैं |यह गृह पुरुष जाति,रक्त वर्ण ,पित्त प्रकृति तथा पूर्व दिशा का स्वामी है |यह आत्मा ,आरोग्य ,स्वाभाव ,राज्य ,देवालय ,का सूचक एवं पित्रिकारक है |इसके द्वारा शारीरिक रोग ,मन्दाग्नि ,अतिसार ,सिरदर्द ,क्षय ,मानसिक रोग ,नेत्र विकार ,उदासी ,शक ,कलह ,अपमान आदि का विचार किया जाता है |मेरुदंड ,स्नायु ,कलेजा ,नेत्रादी अवयवों पर इसका विशेष प्रभाव होता है |इससे पिता के सम्बन्ध में भी विचार किया जाता है |
नोट-सूर्य लग्न से सप्त में स्थान बली तथा मकर राशि से -६ राशियों तक चेष्टाबली होता है |इसे पाप गृह भी माना गया है| किन्तु ये सभी गुण एवं अवगुण सिंह राशि के जातक में -विद्यमान होते हैं ||
भवदीय निवेदक -"झा शास्त्री "मेरठ |
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