"कर्क राशि के लोग और नवग्रहों के "चन्द्र "?"
मित्रप्रवर -राम राम |
नवग्रह के "चन्द्र " -यह मस्तक का द्योतक है |यदि हम जानना चाहें कि व्यक्ति का मस्तिष्क किस प्रकार कार्ज करता है,तो हमें उसकी "जन्म- कुंडली "में चन्द्र की स्थिति का अध्ययन करना पड़ेगा | इस ग्रह- के जातक शांत ,संग्रहीत ,न्याय तथा क्षमाशील होते हैं | इन्हें शीघ्र ही अपनी ओर किया जा सकता है ,क्योंकि ये लोग ह्रदय से दयालु होते हैं |क्षमा करना और भूल जाना उनका सिधांत है |उनके मानस की रचना में दया विशेष गुण है |ईंट का जबाब पत्तर से देने का वो कभी विचार नहीं करते,तथा पुरानी दुश्मनी भूल जाने के लिए तैयार रहते हैं ||
ऐसे व्यक्ति कभी भी कठोर ह्रदय अथवा क्रूर नहीं हो सकते | किन्तु न्याय और औचितय के उद्देश्य के लिए वो घोर संकल्प प्रदर्शित कर सकते हैं और प्रायः शांत निर्बाध व् सुविधाजनक जीवन व्यतीत करते हैं |उनका जीवन तूफानों और आघातों से प्रायः अछुता रहता है |वो धीरे -धीरे प्रगति करते हैं ,समृद्ध होते हैं ,तथा धर्मार्थ कार्यों में योगदान करना पसदं करते हैं |स्वभाव से बड़े मिलनसार होते हैं और अश्लीलता अथवा अशिष्टता को कभी पसंद नहीं करते हैं |
ज्योतिष विज्ञानं के मननशील अध्येताओं का मत है कि-"चन्द्र " पश्चिमोत्तर दिशा का स्वामी है ,स्त्री जाति ,स्वेत्वर्ण और जल ग्रह है |वात्स्श्लेश्मा इसकी धातु है | यह रक्त का स्वामी है | माता -पिता ,चित्तवृत्ति ,शारीरिक पुष्टि ,राजानुग्रह ,संपत्ति और चतुर्थ स्थान का करक है |
चतुर्थ स्थान में "चन्द्र "बलीऔर मकर से ६ राशि में इसका चेष्टाबल होता है | इससे शारीरिक रोग ,पंदुरोग ,जलन तथा कफज रोग ,पीनस ,मूत्रकृच्छ ,स्त्री -जन्य रोग ,मानसिक रोग ,व्यर्थ भ्रमण ,उदार एवं मस्तिष्क का विचार किया जाता है |
कृष्ण पक्ष की षष्ठी से शुक्ल पक्ष की दशमी तक क्षीण "चंद्रमा "रहने के कारणपापग्रह और शुक्ल पक्ष की दशमी से कृष्ण पक्ष की पंचमी तक पूर्ण ज्योति रहने से शुभ ग्रह और बली माना जाता है | बली चंद्रमा ही चतुर्थ भाव में अपना पूर्ण फल देता है | यह सौभाग्य का मार्गदर्शक ,गृहस्थ तथा देशप्रेम का परिचायक ,भावनात्मक सहानुभूति ,सुन्दर कल्पना -शक्ति ,ज्योतिष विज्ञानं एवं जनसाधारण का प्रतिनिधितव भी करता है | यह पारिवारिक जीवन तथा व्यक्तिगत कार्यों का द्योतक है ||
यह मन की कल्पनाओं की भांति अत्यंत गतिशील ग्रह है |यह वैश्य जाति का है |यह गले से ह्रदय एवं अंडकोष तथा गर्भ आदि पर अपना भरपूर आधिपत्य रखता है और पिंगल और नाड़ी आदि का प्रतीक भी माना जाता है || ज्योतिर्विदों ने इसे स्वप्नों की साम्राज्ञी तथा शिशुओं की माता कहा है |यही नाविकों तथा पर्यटनशील व्यक्तियों का प्राणाधार एवं घुमक्कड़ पुरुषों का सुषमागार हैं | मन की गति ,हावभाव का मानदंड एवं मानसिक घात -प्रतिघात व विभोरता का परिचायक है |इससे कर्मशील नारियों के कार्य -कलापों का मूल्याङ्कन भी किया जाता है |यह वास्तव में ऐसे व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है -जो भावुक हैं ,तरंगी हैं ,मनचले हैं ,भावावेश में आकर जो बिना मूल्य बिक जाते हैं |इसके आलावा हम यह भी कह सकते हैं कि "चन्द्र छविनाथों का लोकप्रिय है---||
भाव हम यदि विवेचन करें तो बहुत सारी बातें "चन्द्र और कर्क राशि के जातक से सम्बंम्धित हैं |
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री " मेरठ ||
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