भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 25 मई 2011

"मेष एवं वृश्चिक राशि के जातक और"मंगल" ग्रह?"

          "मेष एवं वृश्चिक राशि के जातक और"मंगल" ग्रह?"
मित्रप्रवर ,राम राम ,नमस्कार |
     पृथ्वी ,रसा ,गंध ,रत्नगर्भा ,वीर ,प्रसू और सर्व -सहायक ,सर्व- मंगला के नाम से विख्यात है "मंगल ग्रह "|
     पौराणिक आख्यान है कि जब पृथ्वी को उसके पिता "ब्रह्मा "ने मेढक पुत्र रूप में दिया ,तो पृथ्वी के प्रलाप और क्रंदन से द्रवीभूत होकर विधाता ने मेढक को मानव रूप में बदल दिया |उलाहना बंद हो गया मगर वो पुत्र जिसका नाम "भौमासुर "हुआ ,उसने अपने अत्याचारों स पृथ्वी -मंडल और खमंडल को मथ डाला ,त्रसित और उत्पीडित कर डाला ,तब पृथ्वी ने फिर पुकार की |इस बार उसके पिता ने "भौम " नाम का एक पुत्र और दिया और कहा ,"पुत्री यह भौम भौमासुर की तरह किसी को संतप्त नहीं करेगा |पृथ्वी पर सब सुख देगा |सबके दुखों का मोचन करेगा |इसे पुरुष ही नहीं ,स्त्री भी प्यार करेंगी | इसे अपने शीश पर बिठाएँगी |मंगलसूत्र नाम का आभूषण आज भी नारियों के सुहाग का प्रतीक बना हुआ है | यही वो मंगल [भौम ] है ,जो धर्म और मर्यादा ,धर्म और सत्य के लिए जगत के धराधाम में विहार करता है ||   
         "मंगल "दक्षिण दिशा का स्वामी ,पुरुष जाति,पित्त -प्रकृति ,रक्त वर्ण और अग्नि तत्व है |यह  स्वभाव से पापग्रह है |धैर्य तथा पराक्रम का स्वामी है |तीसरे और छठे भाव में बली और दितीय स्थान में निष्फल होता है |दशम स्थान में दिग्बली और चंद्रमा के साथ रहने से चेष्टाबली होता है ||
             यह भ्रात्रि और भगिनी [भाई और बहिन]-कारक है |य्सके शास्त्रीय नाम -अस्त्र ,आरः,कुज ,भौम ,वक्र ,अंगार ,अरल ,अरुण ,इराज ,कुपुत्र ,क्षमा ,जन्मा ,रोहित ,लोहित ,अवनीभू ,कुनंदन और विपुलात्नुजात |
               ज्योतिष धुरीण विद्वानों की दृष्टि में मंगल सेनापति ,नेता अधिपति ,देवता और बल्विक्रम का प्रतिनिधित्व करता है | यह युद्ध का निर्झर है ,शक्ति का विधाता है ,तरुणाई का मूलाधार है,भयानकता और क्रूरता का कोष है |अति चपल और चंचल है |देश प्रेम और सहस का केंद्र बिंदु है |आवेश का तूफान और पार पुष्टा का भण्डार है |इसे विजय का सेतु कहकर भी पुकारते हैं |
         यह क्षत्रिय जाति का है |एक राशि पर डेड़ मास रहता है|इसकी स्वराशि १और ८ है |यह मकर में उच्च राशि का और कर्क में नीच राशि का माना जाता है |इसके मित्र सूर्य ,चन्द्र और गुरु हैं |यह चतुर्थ ,सप्तम और अष्टम भावों पर पूर्ण प्रभाव रखता है |यह अनैतिक प्रेम का प्रतिनिधि भी है और पुलिस ,सेना ,शास्त्रगार ,शालयोप्रचार कर्मियों का प्रिय अध्येता है |इसके अनुयायी चोर भी होते हैं |यह ग्रह अधिकार को मुट्ठी में रखने वाला ,आदेश का पालन करने वाला तथा राजनितिक क्षेत्र में प्रवेश करके नेत्रित्व  भी करता है ||
       भाव -उक्त तमाम गुण और अवगुण जो "मंगल ग्रह के हैं इन सभी गुणों से युक्त होते हैं युक्त होते हैं -मेष एवं वृश्चिक के जातक -चाहें तो परखकर देख लें ?||
    भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " मेरठ |
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