भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 22 जून 2011

"मोती रत्न से चद्रमा [चाँद ] को प्रसन्न करें ?"

           "मोती रत्न से चद्रमा [चाँद ] को प्रसन्न करें ?"  
मित्र प्रवर ,राम राम |
      चंद्रमा का रत्न "मोती " है आंग्ल भाषा [अंग्रेजी में -पर्ल -कहते  हैं |
          ऐसा ज्योतिष  में विदित है कि-प्रत्येक जीव मन के वशीभूत होते हैं ,जब मन स्थीर हो जाता है -तो शांति मिल जाती है एवं शांति के बिना -जीवन नीरस सा प्रतीत होता है ||
       अस्तु  "मोती " यह एक शुभ रत्न है |क्रोध कम करने ,बल्ड प्रेशर ,ह्रदय रोग ,चिंता ,तनाव ,पारिवारिक झगडे कम करने या शांति के लिए इसे धारण किया जाता है ||
             "मोती "धारण करने से पूर्व "मोती "रत्न को आप स्वयं परख सकते हैं अपनी कसोटी पर ?
  [१]-किसी मिटटी के वर्तन में गोमूत्र लेकर उसमें मोती को रत भर पड़ा रहने दें |सुबह तक नकली मोती टूट जायेगा ||
[२]-जमे घी में "मोती "डालने पर यदि वह पिघलने लगे तो वह मोती असली होगा || 
   [३]-पानी से भरे कांच के गिलास में मोती डालने पर उसमें से किरणें निकलती दिखे तो वह असली "मोती "होगा ||
        भाव -हम दिखावा के लिए रत्न न पहनें, सही परखें और सही  समय से "मोती "कर्क " राशी या वृष राशी में यदि चंदामा हो तो धारण करना चाहिए ||
   भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " मेरठ {भारत }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा -रात्रि ८ से९ ऑनलाइन या फ़ोन से कोई भी प्राप्त कर सकते हैं ||
संपर्कसूत्र-०९८९७७०१६३६.०९३५८८८५६१६,

कोई टिप्पणी नहीं: