"राहु एवं केतु के परिवर्तन से हानी विशेष लाभ कम होंगें ?"
राहु एवं केतु अपनी-अपनी राशि में डेढ़ वर्ष निवास करते हैं | ये जिन ग्रहों के साथ होते हैं प्रभाव भी उसी प्रकार के देते हैं ,साथ ही इन ग्रहों को छाया करक ग्रह भी कहते हैं | राहु "वृष" राशि एवं केतु वृश्चिक " राशि" में डेढ़ साल रहेंगें ,इन ग्रहों के प्रभाव से -वृष ,कर्क , सिंह ,वृश्चिक,मकर , कुम्भ , राशियों के जातक पड़ेशान रहेंगें | मेष ,मिथुन ,कन्या ,तुला धनु एवं मीन राशि के लोग चिंतित एवं असमंजस की स्थिति में रहेंगें ||
अस्तु - कथा के अनुसार -राहु के पिता "विपुचित्ति "दानव थे और माता दानवराज -हिरण्यक शिपू -की पुत्री सिंहिका थी | समुद्र मंथन के उपरांत अमृत पान कर लेने के करण भगवान् विष्णु ने इसका सर काट दिया तब से इस ग्रह के दो रूप हो गए | धड से ऊपर का भाग राहु एवं गर्दन से नीचे का भाग केतु नाम से प्रसिद्द हो गया |
ज्योतिष के अनुसार -राहु मलिन रूप वाला ,दारुण एवं कठोर स्वभाववाला ,तमोगुणी ,विनाशवृति को लेकर संचरण करने वाला है |यह दुर्गुणों में निवास भी करता है | इस ग्रह से प्रभावित लोग -जुआ ,शराब ,अपहरण तथा लोहे के कार्ज़ को करने में निपुण होते हैं | ये ग्रह जिस स्थान पर होते हैं -वहां की प्रगति नहीं होने देते हैं | केतु की बात करें तो -इसके प्रभाव से जातक -तमोगुणी ,मलीन रूप ,आचारहीन एवं वर्ण शंकर जाति से युक्त हो जाते हैं | इस ग्रह से प्रभावित लोग -रूप विहीन ,पेट रोग , एवं चर्मरोग,एवं भय से युक्त हो जाते हैं किन्तु कुछ स्थितियों में ये शुभ ग्रह की तरह से फल भी देते हैं ||
राहु के निदान के लिए जाप दान हवन तो करते ही हैं किन्तु रत्न भी निवारण करते हैं -
राहु रत्न -गोमेद अंग्रजी में -[जिकोर्न]-कहते हैं- इसकी जानकारी के लिए -ये लाल धुएं के रंग का होता है |रक्त -लाल ,श्याम -कालाया प्रित्युक्त उत्तम माना जाता है|यह राहु के दोषों को दूर करने के लिए पहना जाता है |-काम में काफी दिक्कत हो ,पैसा नहीं टिकता हो ,मन पदेशन हो ,घर में दिल न लगे तब लोगों को यह धारण करना चाहिए ||
गोमेद को खुद ही परखें -[१]-असली गोमेदक को गोमूत्र में २४ घंटे रखने पर गोमूत्र का रंग बदल जाता है |
[२]-दूध में असली गोमेदक डालने पर दूध का रंग गोमूत्र सा दिखने लगता है ||
केतु रत्न -लहसुनिया -इसे कैट्स आई भी कहते हैं | बिल्ली की आँख -जैसी चमकवाला सफेद ,नारंगी ,हरा रंग का होता है |जब भी कार्यों में दिक्कत हो ,चोट ,दुर्घटना का भय बने ,उन्नति में बढ़ाएं आयें तब "लहसुनिया " धारण करना चाहिए |जब भी पड़ेशानी का कारण केतु हो ,तब इसे धारण करना चाहिए ||
लहसुनिया को आप पहले परखें फिर खरीदें -[१]-यदि लहसुनिया अँधेरे में रखा जाय तो वह बिल्ली की आँखों की तरह चमता हुआ दिखेगा |
[२]-यदि लहसुनिया को २४ घंटे तक किसी हड्डी पर रखा जाय तो यह हड्डी के आर -पार छेद कर देता है||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " मेरठ {उत्तर प्रदेश }
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