भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

सोमवार, 22 अगस्त 2011

{मैथिली- गज़ल}ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री

{मैथिली- गज़ल}ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री

यूँ तो जीवन की धारा अविरल प्रवाहित होती रहती है ,तो हम बचकर निकल कैसे सकते हैं | बचपन की याद और अपनी संस्कृति से हम निरंतर जुड़ना चाहते हैं | मात्रीभाषा -मैथिली की सभी गीतें हमें अच्छी लगती हैं और कोशिश करते रहते हैं - मिथिला से दूर रहकर भी मिथिला और मैथिली याद रखें

भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन"झा शास्त्री"

मेरठ {उत्तर प्रदेश }09358885616,09897701636

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