भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

गुरुवार, 25 अगस्त 2011

"ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री"

"आज के विचार =अंग्रेजी मास और उनकी उत्पत्ति ?"

मित्रप्रवर ,राम राम,नमस्कार |

यूँ तो प्रायः सभी अपने किसी भी कार्ज की शुरुआत अपने-अपने धर्म के अनुसार ही करते हैं | ज्योतिष ने भारतीय मास की गणना भी देवताओं के एवं नक्षत्रों के अनुसार की है |

अस्तु -रोमन तथा आंग्ल भाषा {अंग्रजी } साहित्य में ही नहीं ,सम्प्रदाय में भी उग्र संक्रांतियां हुई है | देवार्चन { देवता की पूजा }को वहां भी महत्व और प्रधानता दी गयी है | उसी के आधारभूत देवताओं पर उनके मास की गणना हुई है |

जनवरी =जेनस नामक एक रोमन देवता के नाम पर वर्ष के प्रथम मास का नाम"जनवरी "रखा गया है| इस देवता के सम्बन्ध में यह प्रसिद्द है -कि इसके दो मुख थे | एक सामने की ओर तथा दूसरा पीछे की ओर | इस तथ्य में यह औचितय है कि जब हम बीते हुए वर्ष की सफलता और असफलताओं पर विचार करते हैं ,तो हमें आगे आने वाले नववर्ष की नूतन योजनाओं का भी विवेचन करना पड़ेगा ||

भाव -यह है कि जेनस आदि और अंत का देवता समझा जाता है ||

भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री"मेरठ {उत्तर प्रदेश }

निःशुल्क ज्योतिष सेवा कोई भी मित्र बनकर रात्रि ८ से९ में प्राप्त कर सकते हैं |

सम्पर्कसूत्र =09358885616 ,09897701636

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