"अनुभव और ज्ञान ="ज्येष्ठ एवं जून "
मित्र प्रवर ,राम -राम,नमस्कार ||
ज्येष्ठा नक्षत्र- के आधार पर "ज्येष्ठ" की रचना हुई |ज्येष्ठा -नक्षत्र -के स्वामी -भगवान् इन्द्र देव हैं | यदि जीव हों किन्तु वनस्पतियाँ न हों तो नष्ट हो जायेंगें सभी ,इसलिए -ज्येष्ठ-मास में "इन्द्र "की पूजा होती है इनकी प्रसन्नता के लिए - ज्योतिष एवं कर्मकांड के पतिपादन कर्ताओं ने भारतीय तृतीय मास का नाम ज्येष्ठ रखा ||
जून =रोमन जगत में-यह शब्द "जुपिटर" की पत्नी "जूनों "से प्राप्त हुआ है |यह अति सुन्दर और सुकोमल थी |इसके रथ के वाहक घोड़े नहीं ,बल्कि मयूर थे ||
{भाव -भारतीय परम्पराओं में जो विचार हैं प्रायः वही सम्पूर्ण जगत के थे -इसलिए संस्कृत सभी भाषाओँ की जननी कही जाती है | आज हम "जून" तो जानते हैं किन्तु "ज्येष्ठ" माह नहीं अतः हमारी कोशिश - अंग्रेजी के साथ -साथ हिंदी और संस्कृत को भी समझें ?"}
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री" {मेरठ -उत्तर प्रदेश }
{निःशुल्क ज्योतिष सेवा केवल फ़ोन से मिलेगी मित्रों को-रात्रि ८ से९ }०९८९७७०१६३६,09358885616
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