"आज के विचार -श्राध और श्रद्धा ?"
मित्र प्रवर ,राम राम नमस्कार ||
भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय "पित्री पक्ष " कहलाता है | इस पक्ष में मृतक -पूर्वजों का श्राध किया जाता है | श्राध करने का अधिकार ज्येष्ठ पुत्र अथवा नाती को होता है | पुरुष के श्राध में ब्राह्मण को तथा औरत के श्राध में ब्राह्मणी को भोजन कराते हैं |भोजन में खीर पूड़ी होती है |भोजन के पश्चात् दक्षिणा दी जाती है |पित्री पक्ष में पितरों की मरण तिथि को ही उसका श्राध किया जाता है | गया में श्राध करने का बड़ा महत्व माना जाता है |पित्री पक्ष में देवताओं को जल देने के पश्चात् मृतकों का नामोच्चारण करके उन्हें भी जल देना चाहिए ||
भवदीय निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
ज्योतिष परामर्श रात्रि ८ से९ {केवल मित्रों के लिए }
संपर्क सूत्र -09897701636,09358885616
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