"पितृ विसर्जन अमावस्या ?"
मित्रप्रवर- राम राम ,नमस्कार ||
आश्विन मास की अमावस्या ही "पितृ विसर्जन अमावस्या " के नाम से विख्यात है | इस दिन ब्राह्मण को भोजन तथा दान देने से पितर तृप्त हो जाते हैं तथा वे अपने पुत्रों को आशीर्वाद देकर जाते हैं |जिन परिवारों को अपने पितरों की तिथि याद नहीं रहती है उनका श्राध भी इसी अमावस्या को कर देने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं |
इस दिन शाम को दीपक जलाकर पूड़ी पकवान आदि खाद्य पदार्थ दरवाजे पर रखे जाते हैं | जिसका अर्थ है कि पितृ {पितर }जाते समय भूखे न रह जायें |इसी तरह दीपक जलने का अभिप्राय {आशय }उनके मार्ग को आलोकित करना है ||
भवदीय -"झा शास्त्री "{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
ज्योतिष परामर्श -रात्रि ८ से९ -{मित्रों के लिए निःशुल्क }
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