" शतम जीवेम शरदः शतम"
मित्रप्रवर -राम राम ,नमस्कार ||
सर्वप्रथम -अपने सभी बड़ों को चरण स्पर्श ||
समकक्ष मित्रों को -नमस्कार {धन्यवाद }
तथा - सभी अनुजों को -"झा शास्त्री "का स्नेह एवं प्यार ||
आप सबने जो -आशीर्वाद दिया ,प्रेम दिया , अपने -अपने दिल में स्थान दिया -उसके लिए हम आप सभी के आभारी हैं | सदा अपनी निर्मल छाया से ,स्नेह से आवेष्टित रखें yahi निरंतर कामना रहेगी हमारी ||
भवदीय "झा शास्त्री "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें