भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 19 अक्टूबर 2011

"अयोध्या एवं जनकपुर की तरह मेरठ भी राममय है ?"

     "अयोध्या एवं जनकपुर की तरह मेरठ भी राममय है ?"
  मेरठ = मय नाम के दानव जहाँ हुए -उसका नाम मेरठ पड़ा | जहाँ कभी मंदोदरी नित्य पूजा अर्चना करती है | जिस भूमि से स्वतंत्रता की पहली शुरुआत हुई | जिस भूमि पर लोग समुदाय विवाद के कारण-लोग आना और रहना पसंद नहीं करते थे कभी ,जी हाँ उस भूमि का नाम मेरठ है | उत्तर में -हरिद्वार ,दक्षिण में -दिल्ली ,पूर्व में -मुरादावाद ,तथा पश्चिम में -बागपत {हरियाणा }मेरठ -चारो तरफ से सुरक्षित -चाहे व्यापर हो ,आवागमन के रास्ते हो,या फिर -प्राकृतिक देन हो, सभी संपदाओं से युक्त होने के वाद भी, आपसी विवाद ने प्रगति बहुत दिनों तक नहीं होने दी ,किन्तु -समय की धारा ने-मेरठ -को भी प्रगति के पथ पर ले चल रही है | अब यहाँ के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं ,अपने -अपने कार्ज़ में सभी दक्ष हैं | अब यहाँ -शिक्षा ,व्यापर,उद्योग ,यातायात की सुविधा ,ओषधालय ,यानि सभी लोकिक और अलौकिक वस्तुओं से युक हैं प्रायः | यहाँ का हेंडलूम ,कैची ,वाद्य्समग्री तो विश्व प्रसिद्द है ही ||
       मेरठ -की सबसे बड़ी विशेषता -सभी लोगों के मुख में "श्री राम " का निरंतर निवास रहता है | जब मिलते हैं तो राम -राम, जाते हैं तो राम -राम ,फ़ोन से बात करते हैं तो राम -राम ,ये राम -राम यदि कोई एक बार करता है तो जबाब में २बार राम -राम बोलते हैं | जब हम अयोध्या जाते हैं तो वहां तो यह अभिवादन होता है ,जब हम मिथिला {जनकपुर }जाते हैं तो वहां भी राम नाम शब्द सुनने को मिल जाते हैं, किन्तु मेरठ की धरती पर यह शब्द हमें भेद भाव रहित प्रेम का एक अद्भुत रस से सरोबार करते हैं ,यद्यपि श्री राम तो विश्व के हैं,संसार के सभी के लिए राम और रामायण अनमोल हैं ,फिर भी मेरठ भूमि -अयोध्या या जनकपुर से कम राममय प्रतीत नहीं होती है ||
   भवदीय निवेदक -कन्हैया लाल झा शास्त्री {मेरठ -उत्तर प्रदेश }
           त्रिमासिक पत्रिका -"यदु वंश गंगा "
                   टीकमगढ़ {मध्यप्रदेश }
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