भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

गुरुवार, 20 अक्टूबर 2011

"दीपावली "

     "दीपावली "
 कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व पूरे देश में बड़ी धूम -धाम से मनाया जाता है |इसे रोशनी का पर्व कहना भी ठीक लगता है |
       जिस प्रकार -रक्षा बंधन -ब्राह्मणों का ,दशहरा -क्षत्रियों का ,होली शूद्रों का त्यौहार है ,उसी प्रकार -दीपावली वैश्यों का त्यौहार माना जाता है ||
        इसका अर्थ यह नहीं है {आज के समय में }कि इन पर्वों को उपरोक्त {अन्य }वर्ण के व्यक्ति ही मानते हैं | अपितु सब वर्णों के लोग मिलकर इन त्यौहारों को मनाते हैं ||
            इस दिन "लक्ष्मीजी " को प्रसन्न करने के लिए पहले से घरों कि पुताई करके साफ सूत्र कर लिया जाता है | ----शास्त्रों के अनुसार -कार्तिक अमावस्या को भगवान् श्री रामचन्द्रजी-१४ वर्ष का बनवास काटकर रावण को मरकर -अयोध्या लौटे थे |-अयोध्या वासियों ने इस ख़ुशी में दीपमालाएँ-जलाकर खुशियाँ मनाई थी |
          कुछ ग्रंथों के अनुसार -इस दिन उज्जैन सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक भी हुआ था | विक्रमी संवत का आरम्भ तभी से माना जाता है |अतः यह नव वर्ष का प्रथम दिन होता है |
         दीपावली-के दिन व्यापारी अपने बही खाते बदलते हैं तथा लाभ हनी का ब्यौरा तैयार भी करते हैं |
दीपावली -के दिन " जुआ"{द्यूत क्रीडा }खेलने कि भी प्रथा है -कारण वर्ष भर के लिए भाग्य की परीक्षा करना होता है ,किन्तु जुआ को राष्ट्र के लिए दुर्गुण ही माना जायेगा ||
                     भवदीय -प्रेषक -ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "
                                      त्रिमासिक पत्रिका -यदुवंश गंगा |
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