"आपके नक्षत्र "वाटिकाओं से भी प्रसन्न होते हैं ?"
मित्रप्रवर -राम राम ,नमस्कार |
हमारे ऋषि -मुनियों ने प्रत्येक ग्रह एवं नक्षत्र से सम्बंधित पौधों के बारे में जानकारी की थी ,तथा नवग्रह एवं नक्षत्र वाटिकाएं की जानकारी कुछ ग्रंथों के द्वरा उपलभध भी करायी थी
{१}-नारद पुराण{पौराणिक ग्रन्थ }{२}-नारद संहिता {ज्योतिष ग्रन्थ }{३}-राज निघंटु व्रेहतधुश्रुत{आयुर्वेदिक ग्रन्थ }{४}-शारदादितिलक {तांत्रिक ग्रन्थ -मन्त्र महार्णव ,श्रीविद्यार्नव,तंत्र आदि {६}अन्य ग्रन्थ-आन्दास्रम,प्रकाशन ,वनस्पति ,अध्यात्म नक्षत्र -वृक्ष इत्यादि ||
इन तमाम ग्रंथों के मध्यम से जाना जा सकता है -नक्षत्र वाटिकाओं से कितना लाभ हो सकता है | सदैव से यह भी मान्यता रही है -कि ग्रह नक्षत्रों के कुप्रभावों से वृक्ष एवं वनस्पतियाँ समाप्त या कम जरुर कर सकती हैं | भारतीय मान्यता में -सूर्य मंडल के समस्त सदस्यों व उपसद्स्यों {जिसमें सूर्य एवं चंद्रमा भी शामिल हैं }को ग्रह कहा गया है |ये{ग्रह } धरती के करीब होने से इनकी स्थिति नित्य बदलती रहती है | नक्षत्र -धरती से अत्यधिक दूर होने के कारण परिवर्तन का अनुभव नहीं हो पाता है , अतः नक्षत्र को स्थिर कहे गए हैं | ज्योतिष विद ने -चंद्रमा के रास्ते को २७ भागों में बाटें हैं| प्रत्येक -२७ वें भाग में पड़ने वाले तारामंडल के बीच कुछ विशेष तारों को पहचान कर उन्हें एक नया नाम दिया -जिन्हें हमलोग नक्षत्रों के नाम से जानते हैं |-इस प्रकार से -नवग्रहों एवं २७ नक्षत्रों की ज्योतिष में पहचान की गयी है ||
अस्तु -जिस प्रकार से शारीरिक कष्ट को दूर करने कुछ विशेष प्राप्ति के लिए हमलोग जिस प्रकार से रत्न धारण करते हैं |उसी प्रकार से -ग्रहों एवं नक्षत्रों से सम्बंधित पौधों को उगाने से भी लोगों को मनोवांछित फल मिल सकता है | -महर्षि चरक के अनुसार धर्म ,अर्थ ,कम ,मोक्ष को प्राप्त करने हेतु -आरोग्य रहना आवश्यक है |स्वस्थ शरीर एवं दीर्घ जीवन प्राप्त करने के लिए भोजन ,शुद्ध ,वायु ,जल ,तथा प्रदूषण रहित पर्यावरण आवश्यक है | बाबा तुलसी दास जी के अनुसार -
"गगन समीर अनल जल धरनी |
इनकी नाथ सहज जड़ करनी ||
हमारे जीवन की भव्यता में -वनस्पतियों की अहम् भूमिका सदैव रही है |लगभग सभी कालों में -वन वाग ,उपवन ,वाटिका ,सर कूप ,वासी सोहई की प्रथा रही है |आज भी हरियाली तथा शुद्ध पर्यावरण के प्रति हम जागरूक हैं ||
{१}-सूर्य की प्रसन्नता के लिए -मदार का वृक्ष लगायें |{२}-सोम {चंद्रमा }के लिए पलाश का वृषा लगायें {३}मंगल -के लिए खैर का वृक्ष {४}बुध के लिए -अपामार्ग {लटजीरा }का वृक्ष लगायें {५}गुरु के लिए -पीपल का वरिश लगायें {६} शुक्र के लिए गूलर का वृक्ष {७}शनि के लिए -शमी का वृक्ष {८}राहू के लिए-दूब लगायें {९}केतु के लिए -कुशा लगायें ||
कम हम २७ नक्षत्रों से सम्बंधित पौधों से लाभ का जिक्र करेंगें ||
भवदीय निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
त्रिमासिक पत्रिका -संवाददाता {टीकमगढ़ -मध्य प्रदेश }
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