"रक्त रंजित भूमि स्नेह एवं प्रेम की प्रतीक भी है ?"
नाम के अनुसार प्रभाव होता है इसलिए "नामकरण संस्कार होते हैं | परन्तु -अपने -सुकर्म और कुकर्म के द्वारा परिवर्तन भी प्रभाव में हो जाता है | मेरठ -"मय" नाम के दानव से उत्पत्ति हुई ,किन्तु इस महानगर के चारो ओर धर्म नगरी और धर्मस्थान होने से -इस महानगर {मेरठ }के ह्रदय में प्रेम एवं स्नेह निरंतर वहते रहते हैं तभी तो आज यह विश्व प्रसिद्द है | मेरठ की नगरी में न जाने सदियों से कितने जीवों की हिंसा हुई है ,और आज भी हो रही है ,कुछ गली तो आज भी जीने को मजबूर करती है -यहाँ की वीभत्स घटना जीवों के प्रति जो होती है उससे ये भूमि नित्य अकुलाती रहती है | "मय " नाम के दानव के समय से महाभारत काल तक ,अंग्रजों के आने से वीसवी सदी तक जीव तो क्या इंसानों की भी आहूती निरंतर पड़ती रहती थी | समुदाय संघर्ष तो यदा- कदा आज भी देखने को मिल जाती है | जबकि -हेंडलूम ,कैचीं,ताला,संगीत सामग्री ,खेल -कूद सामग्री ,मांस का ब्यापार ,गन्ना,प्राकृतिक वस्तुएं ,धर्म स्थान और भी बहुत सी चीजों के कारण-ये विश्व प्रसिद्ध है ,तथा ये प्रगति के कारण भी हैं | इस महानगर की छाप भले ही लोगों के दिल में गलत हो ,किन्तु -चारो ओर धर्म की नगरी होने से -जैसे हरिद्वार ,सरधना ,हस्तिनापुर ,ऋषिकेष,गंगोत्री ,विस्वामित्र-तपस्थली -गगोल ,और इन्हीं के आराध्य देव-पूरा महादेव मंदिर ,न जाने कितने ऋषि -मुनियों,देव दानवों की धर्मस्थली आज भी विद्यमान है -जिस कारण से अधर्म कम धर्म विशेष हो रहा है,तभी तो -मंदिरों में मस्जिदों में पुजारी और मौलवी बिहार प्रदेश से आकर आपस में भाई चारा का पाठ पढ़ते हैं,साथ ही अपने -अपने धर्म के प्रति जागरूक समाज को करते हैं | यहाँ के लोग इतने सरल हैं कि अपने पंडित अपने मौलवी के प्रति आदर भाव रखते हैं , पराया नहीं मानते जो -संसार में कही भी देखने को नहीं मिलता | यहाँ की भाषा शुद्ध किन्तु खड़ी बोली होने के कारण कुछ अप्रिय सी लगती है -किन्तु दिल में प्रेम ही -प्रेम झलकता है | प्रकति और जलवायु का समिश्रण रोग मुक्त है जो संसार में अनुकरणीय है | यहाँ आज भी -बिहार प्रदेश ,राजस्थान ,मध्यप्रदेश ,पंजाब ,हरियाणा ,उतरांचल ,दिल्ली की आबादी अत्यधिक है| किन्तु देश-प्रदेश के विवाद नहीं हैं , जतिबाद नहीं है,सभी जीना चाहते हैं ,आगे बढ़ना चाहते हैं ,इसलिए -गरीबी कम है ,सभी संसाधनों से सभी युक्त होते जा रहे हैं ,यही प्रेम और स्नेह एक दिन इस महानगर संसार में अग्रगणी बना देगा ||
भवदीय -कन्हैयालाल झा शास्त्री
निह्शुल्ल्क ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ }
नाम के अनुसार प्रभाव होता है इसलिए "नामकरण संस्कार होते हैं | परन्तु -अपने -सुकर्म और कुकर्म के द्वारा परिवर्तन भी प्रभाव में हो जाता है | मेरठ -"मय" नाम के दानव से उत्पत्ति हुई ,किन्तु इस महानगर के चारो ओर धर्म नगरी और धर्मस्थान होने से -इस महानगर {मेरठ }के ह्रदय में प्रेम एवं स्नेह निरंतर वहते रहते हैं तभी तो आज यह विश्व प्रसिद्द है | मेरठ की नगरी में न जाने सदियों से कितने जीवों की हिंसा हुई है ,और आज भी हो रही है ,कुछ गली तो आज भी जीने को मजबूर करती है -यहाँ की वीभत्स घटना जीवों के प्रति जो होती है उससे ये भूमि नित्य अकुलाती रहती है | "मय " नाम के दानव के समय से महाभारत काल तक ,अंग्रजों के आने से वीसवी सदी तक जीव तो क्या इंसानों की भी आहूती निरंतर पड़ती रहती थी | समुदाय संघर्ष तो यदा- कदा आज भी देखने को मिल जाती है | जबकि -हेंडलूम ,कैचीं,ताला,संगीत सामग्री ,खेल -कूद सामग्री ,मांस का ब्यापार ,गन्ना,प्राकृतिक वस्तुएं ,धर्म स्थान और भी बहुत सी चीजों के कारण-ये विश्व प्रसिद्ध है ,तथा ये प्रगति के कारण भी हैं | इस महानगर की छाप भले ही लोगों के दिल में गलत हो ,किन्तु -चारो ओर धर्म की नगरी होने से -जैसे हरिद्वार ,सरधना ,हस्तिनापुर ,ऋषिकेष,गंगोत्री ,विस्वामित्र-तपस्थली -गगोल ,और इन्हीं के आराध्य देव-पूरा महादेव मंदिर ,न जाने कितने ऋषि -मुनियों,देव दानवों की धर्मस्थली आज भी विद्यमान है -जिस कारण से अधर्म कम धर्म विशेष हो रहा है,तभी तो -मंदिरों में मस्जिदों में पुजारी और मौलवी बिहार प्रदेश से आकर आपस में भाई चारा का पाठ पढ़ते हैं,साथ ही अपने -अपने धर्म के प्रति जागरूक समाज को करते हैं | यहाँ के लोग इतने सरल हैं कि अपने पंडित अपने मौलवी के प्रति आदर भाव रखते हैं , पराया नहीं मानते जो -संसार में कही भी देखने को नहीं मिलता | यहाँ की भाषा शुद्ध किन्तु खड़ी बोली होने के कारण कुछ अप्रिय सी लगती है -किन्तु दिल में प्रेम ही -प्रेम झलकता है | प्रकति और जलवायु का समिश्रण रोग मुक्त है जो संसार में अनुकरणीय है | यहाँ आज भी -बिहार प्रदेश ,राजस्थान ,मध्यप्रदेश ,पंजाब ,हरियाणा ,उतरांचल ,दिल्ली की आबादी अत्यधिक है| किन्तु देश-प्रदेश के विवाद नहीं हैं , जतिबाद नहीं है,सभी जीना चाहते हैं ,आगे बढ़ना चाहते हैं ,इसलिए -गरीबी कम है ,सभी संसाधनों से सभी युक्त होते जा रहे हैं ,यही प्रेम और स्नेह एक दिन इस महानगर संसार में अग्रगणी बना देगा ||
भवदीय -कन्हैयालाल झा शास्त्री
निह्शुल्ल्क ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ }
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