"नित्य कर्म आप इस प्रकार से करें ?
सुवह आँख खुलते ही अन्य किसी को देखने से पूर्व अपने दोनों हाथों को देखें एवं यह मन्त्र मन ही मन उचारण करें ? ---कराग्रे वसते लक्ष्मी कर मध्ये सरस्वती ।
करमूले स्थितो विष्णुह,प्रभाते कर दर्शनम ।।
भाव -सभी के हाथों के अग्र भाग में "लक्ष्मी "मध्य भाग में सरस्वती एवं बीच में विष्णु निवास करते हैं ---अतः इन देवताओं के सर्व प्रथम स्मरण करने चाहिए । जिससे दिन मंगल पूर्वक बीतेगा ।।
{२}-इसके बाद --पृथ्वी पर पैर रखने से पूर्व यह मंत्र पढ़ें और पृथ्वी माता को नमन करें ।
"समुद्र वसने देवि पर्वत स्तन मंडले ।
विष्णु पतनीं नमस्तुभ्यं पद स्पर्ष क्षमस्वमें ।।
भाव -हे पृथ्वी माता समुद्र वसन है आपका पर्वत पयोधर हैं -एवं भगवान विष्णु की पत्नी हो आप। अतः आपके ऊपर हम चरण रख रहे हैं सो हमें क्षमा करें ।।
{३}-अपने शरीर की शुद्धि इस प्रकार करें --
"अपवित्रः पवित्रो वा सर्व वस्थान गतोअपी वा ।
यह स्मरेत पुन्द्रिकाक्ष स बाह्या आभ्यांतारह शुचिः ।।
bhav भाव -भगवान श्री हरि-का स्मरण करने से ही -अशुद्ध भी शुद्ध हो जाता है ।चाहे -अन्दर हो या वाहर ,क्योंकि जगत के पालन हार हैं विष्णु -अतः इस मंत्र से अपने शरीर को जल के द्वारा शुद्ध करें ।।
{४}-भगवानजी की पूजा के बाद चरणामृत इस मन्त्र से ग्रहण करें -?
"अकाल मृत्युहरणं सर्व व्याधि विनाशनम।
विष्णु पादोदकं पीत्वा पुनर जन्म न विद्यते ।।
भाव --श्री हरि के चरणामृत पीने से अकाल मृत्यु नहीं होती है ।इतना ही नहीं -सभी प्रकार के रोगों का शमन हो जाता है चरणामृत पीने से ।और विशेष श्री हरि की कृपा कि चरणामृत पीने से पुनर जन्म भी नहीं होता है ।।
{५}-भोजन करते समय ५ ग्रास इन मन्त्रों से निकले तब भोजन करें ?
"ॐ ब्रह्मणे स्वाहा,ॐ प्रजापतये स्वाहा ,ॐ गुह्याभ्याह स्वाहा,ॐ कश्यपाय स्वाहा ,ॐ अनुमात्ये स्वाहा
भाव -भोजन करने पूर्व ये ५ आहुतियाँ या तो अग्नि को दें या जल को अथवा गाय को दें --क्योंकि इन पांचों के हम लोग ऋणी हैं अतः पहल ग्रास इन देवताओं को समर्पित करना चाहिए ।।
{६}-शाम को दीपक जलाएं इस मंत्र से ---?
"दिपज्ज्योतिः परं ब्रह्म दिप्ज्जोती जनार्दनः ।
दीपो हरतु में पापं संध्या दीप नमोस्तुते ।।
भाव -दीपक कि जो ज्योति है -वो केवल परब्रह्म की है,वही ज्योति स्वरूप जनार्दन भी हैं ,इसलिए दीपक जलाकर भगवान को दिखने से पाप नष्ट हो जाते हैं ।अतः संध्याकाल दीप जलाकर प्रणाम करना चाहिए ।।
----भवदीय पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {ज्योतिष सेवा सदन }मेरठ उत्तर प्रदेश ।निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि ८ से९ कोई भी मित्रबंकर प्राप्त कर सकते हैं ।संपर्क सूत्र -09897701636 ,09358885616
सुवह आँख खुलते ही अन्य किसी को देखने से पूर्व अपने दोनों हाथों को देखें एवं यह मन्त्र मन ही मन उचारण करें ? ---कराग्रे वसते लक्ष्मी कर मध्ये सरस्वती ।
करमूले स्थितो विष्णुह,प्रभाते कर दर्शनम ।।
भाव -सभी के हाथों के अग्र भाग में "लक्ष्मी "मध्य भाग में सरस्वती एवं बीच में विष्णु निवास करते हैं ---अतः इन देवताओं के सर्व प्रथम स्मरण करने चाहिए । जिससे दिन मंगल पूर्वक बीतेगा ।।
{२}-इसके बाद --पृथ्वी पर पैर रखने से पूर्व यह मंत्र पढ़ें और पृथ्वी माता को नमन करें ।
"समुद्र वसने देवि पर्वत स्तन मंडले ।
विष्णु पतनीं नमस्तुभ्यं पद स्पर्ष क्षमस्वमें ।।
भाव -हे पृथ्वी माता समुद्र वसन है आपका पर्वत पयोधर हैं -एवं भगवान विष्णु की पत्नी हो आप। अतः आपके ऊपर हम चरण रख रहे हैं सो हमें क्षमा करें ।।
{३}-अपने शरीर की शुद्धि इस प्रकार करें --
"अपवित्रः पवित्रो वा सर्व वस्थान गतोअपी वा ।
यह स्मरेत पुन्द्रिकाक्ष स बाह्या आभ्यांतारह शुचिः ।।
bhav भाव -भगवान श्री हरि-का स्मरण करने से ही -अशुद्ध भी शुद्ध हो जाता है ।चाहे -अन्दर हो या वाहर ,क्योंकि जगत के पालन हार हैं विष्णु -अतः इस मंत्र से अपने शरीर को जल के द्वारा शुद्ध करें ।।
{४}-भगवानजी की पूजा के बाद चरणामृत इस मन्त्र से ग्रहण करें -?
"अकाल मृत्युहरणं सर्व व्याधि विनाशनम।
विष्णु पादोदकं पीत्वा पुनर जन्म न विद्यते ।।
भाव --श्री हरि के चरणामृत पीने से अकाल मृत्यु नहीं होती है ।इतना ही नहीं -सभी प्रकार के रोगों का शमन हो जाता है चरणामृत पीने से ।और विशेष श्री हरि की कृपा कि चरणामृत पीने से पुनर जन्म भी नहीं होता है ।।
{५}-भोजन करते समय ५ ग्रास इन मन्त्रों से निकले तब भोजन करें ?
"ॐ ब्रह्मणे स्वाहा,ॐ प्रजापतये स्वाहा ,ॐ गुह्याभ्याह स्वाहा,ॐ कश्यपाय स्वाहा ,ॐ अनुमात्ये स्वाहा
भाव -भोजन करने पूर्व ये ५ आहुतियाँ या तो अग्नि को दें या जल को अथवा गाय को दें --क्योंकि इन पांचों के हम लोग ऋणी हैं अतः पहल ग्रास इन देवताओं को समर्पित करना चाहिए ।।
{६}-शाम को दीपक जलाएं इस मंत्र से ---?
"दिपज्ज्योतिः परं ब्रह्म दिप्ज्जोती जनार्दनः ।
दीपो हरतु में पापं संध्या दीप नमोस्तुते ।।
भाव -दीपक कि जो ज्योति है -वो केवल परब्रह्म की है,वही ज्योति स्वरूप जनार्दन भी हैं ,इसलिए दीपक जलाकर भगवान को दिखने से पाप नष्ट हो जाते हैं ।अतः संध्याकाल दीप जलाकर प्रणाम करना चाहिए ।।
----भवदीय पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {ज्योतिष सेवा सदन }मेरठ उत्तर प्रदेश ।निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि ८ से९ कोई भी मित्रबंकर प्राप्त कर सकते हैं ।संपर्क सूत्र -09897701636 ,09358885616
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें