भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

"हम और ,हमारे संस्कार "

                        "हम और ,हमारे संस्कार "  
सम +सरति =संस्कारः जो  हमारी छवि को  निखारे ,आगे बढाये  उसे हम संस्कार कहते हैं |
 जब हम माँ के गर्भ से पृथ्वी पर आते हैं ,तो हमारे -"जातकर्म संस्कार" होते हैं उसके पश्चात्  "षष्ठी पूजन " प्रयोग प्रायः होते है ,और यह संस्कार प्रायः जीवित हैं | व्रह्मा जी  जातक  के के भाग्य की रिखा को इसी दिन प्रतिपादित करते हैं | जातक की आयु ,कर्म ,वित्त ,विद्या ,निर्धनता  यह षष्ठी पूजन के दिन ही  निर्धारी होते हैं -[१]-अतः हमें अपनी आयु की जानकारी सही किसी को नहीं देनी चाहिए | कारण  इससे अपने को तो तकलीफ  होती  ही है ,परिजनों को भी तकलीफ पहुँचती है?
   [२]-कर्म अर्थात -आप यदि बढियां कार्ज़ कर रहे हैं तो आपको अहंकार आ सकता है ,और यदि आप किसी तरह से जीवन   व्यतीत कर रहे हैं तो भी दुसरे को कष्ट  होगा | अतः "कर्म "भी सही जानकारी किसी को नहीं दें?
[३]-वित्त - अपनी संपत्ति की भी सही जानकारी देने ,या तो आपको कष्ट ही होगा या गर्व भी हो सकता है ,तो इसकी भी सही जानकारी नहीं देनी चाहिए?
[४]-विद्या -आप बहुत  शिक्षित हैं ,तो और  कम पढ़े लिखें हैं तो भी सही जानकारी नहीं देनी चाहिए ?                               
  [५]-निर्धनता होने पर भी  अपनी सही जानकारी नहीं देनी चाहिए ,क्योंकि अपना उपहास भी हो सकता है ?                            भाव -[इन पाँचों चीजों को समयानुसार प्रयोग करें ,इससे आपके जीवन पर बढियां प्रभाव पड़ेगा ]
निवेदक -झा शास्त्री [मेरठ ]

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