""अनुभव और निदान , ज्योतिष एवं कर्मकांड "
"ज्योतिष" अर्थात नेत्र हम्रारे नेत्र की क्षमता जितनी उत्तम होगी ,हम उतनी दूर तक देख पायेंगें | आइये आज कुंडली के चतुर्थ भाव को समझने का प्रयास करते हैं| जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव से हम -संपत्ति , वाहन ,माता , भवन का विचार करते हैं ,यह भाव जितने भी उत्तम ग्रहों से युक्त होगा ,प्रायः हमें उतना ही सुख प्रदान करेगा
[१]- मेष, सिह ,वृश्चिक ,राशी यदि हो और साथ ही सूर्य चन्द्र ,एवं मंगल भी इस भाव में विराजमान हो ,तो जातक सभी प्रकार की सम्पत्त्यों से युक्त तो होता है ,.किन्तु संघर्ष बहुत ही करना पड़ता है |
[२]--कर्क ,मिथुन ,कन्या ,वृष ,तुला की राशी होने पर ,साथ ही बुद्ध ,शुक्र ,चन्द्र भी विराजमान हो तो जातक सभी वस्तुओं से निपुण और शांति से जीवन व्यतीत करता है |
[३]-धनु एवं मीन राशी हो, साथ ही गुरु भी चतुर्थ भाव में हो तो जातक को इन सभी प्रकार के सुखों से बहुत ही संधर्ष करना पड़ता है |
भाव > कुछ और भी जानकारी हमें इन भावो से मिलती है, जानते हैं कल <
निवेदक -झा शास्त्री मेरठ |
-एकबार सभी मित्रों को निःशुल्क ज्योतिष सेवा संपर्क सूत्र से मिलेगी । -आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
-
"कुम्भ राशि-के जातक के स्वभाव और प्रभाव ?" इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊँचा ,अवयव बडे,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ...
-
"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि " संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी म...
-
"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?" जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित ...
-
"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?" --ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ...
-
"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -20-06 से 3-062012-तक ?" --मास में पांच मंगलवार का फल उत्तम नहीं है ---- "यत्र...
-
---मकर एवं कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि "कालसर्पयोग "हो तो --वैसे जातक खनिज ,पेट्रोलियम ,एसिड ,कोयला ,मेडिकल या केमिकल क्षेत्र मे...
-
"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?" --रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती...
-
--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा | -----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त ...
"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }
-
"कुम्भ राशि-के जातक के स्वभाव और प्रभाव ?" इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊँचा ,अवयव बडे,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ...
-
"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि " संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी म...
-
"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?" जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित ...
-
"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?" --ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ...
-
"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -20-06 से 3-062012-तक ?" --मास में पांच मंगलवार का फल उत्तम नहीं है ---- "यत्र...
-
---मकर एवं कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि "कालसर्पयोग "हो तो --वैसे जातक खनिज ,पेट्रोलियम ,एसिड ,कोयला ,मेडिकल या केमिकल क्षेत्र मे...
-
"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?" --रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती...
-
--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा | -----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त ...
गुरुवार, 23 सितंबर 2010
""अनुभव और निदान , ज्योतिष एवं कर्मकांड "
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
""अनुभव और निदान , ज्योतिष एवं कर्मकांड "
"ज्योतिष" अर्थात नेत्र हम्रारे नेत्र की क्षमता जितनी उत्तम होगी ,हम उतनी दूर तक देख पायेंगें | आइये आज कुंडली के चतुर्थ भाव को समझने का प्रयास करते हैं| जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव से हम -संपत्ति , वाहन ,माता , भवन का विचार करते हैं ,यह भाव जितने भी उत्तम ग्रहों से युक्त होगा ,प्रायः हमें उतना ही सुख प्रदान करेगा
[१]- मेष, सिह ,वृश्चिक ,राशी यदि हो और साथ ही सूर्य चन्द्र ,एवं मंगल भी इस भाव में विराजमान हो ,तो जातक सभी प्रकार की सम्पत्त्यों से युक्त तो होता है ,.किन्तु संघर्ष बहुत ही करना पड़ता है |
[२]--कर्क ,मिथुन ,कन्या ,वृष ,तुला की राशी होने पर ,साथ ही बुद्ध ,शुक्र ,चन्द्र भी विराजमान हो तो जातक सभी वस्तुओं से निपुण और शांति से जीवन व्यतीत करता है |
[३]-धनु एवं मीन राशी हो, साथ ही गुरु भी चतुर्थ भाव में हो तो जातक को इन सभी प्रकार के सुखों से बहुत ही संधर्ष करना पड़ता है |
भाव > कुछ और भी जानकारी हमें इन भावो से मिलती है, जानते हैं कल <
निवेदक -झा शास्त्री मेर
एक टिप्पणी भेजें