"अनुभव और निदान ,ज्योतिष एवं कर्मकांड "
ज्योतिष गणित के द्वारा हम संसार के सभी प्रकार की जानकारी कर सकते हैं | कुंडली के तृतीय भाव से अपनी प्रभुता ,मान प्रतिठा,पद ,तथा क्षमता की जानकारी कर सकते हैं | यह भाव जितना सशक्त होगा हम उतने ही महँ होंगें |
[१]-मेष ,कर्क ,सिह ,वृश्चिक .धनु एवं मीन राशी यदि तृतीय भाव में हो और इनके स्वामी ,१;५,९,१०, भाव में हो तो हम विशेष पद पर तो आसीन होंगें ही साथ ही लोक प्रिय भी होंगें , तथा अपने परजनों की हम तो सहायता करेंगें ही, किन्तु हमें अपने परिजनों से कोई भी सहायता नहीं मिलेगी |
[२]-वृष ,तुला , मिथुन , कन्या , मकर ,कुम्भ राशी के तृतीय भाव में होने से ,विदेश यात्रा ,एवं निवास ,कूटनितिग्य ,लोकप्रिय शत्रुओं के परम शत्रु , अपने कार्ज़ में दक्ष होते हैं यदि इनका स्वामी भी ,२,४,७,११ भावों में हो तो विशेष धनी भी होते हैं |
[३]-हम रत्न एवं उपाय की परिचर्चा करण से करेंगें | > विशेष काल <
निवेदक झा शास्त्री मेरठ |
-एकबार सभी मित्रों को निःशुल्क ज्योतिष सेवा संपर्क सूत्र से मिलेगी । -आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
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"कुम्भ राशि-के जातक के स्वभाव और प्रभाव ?" इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊँचा ,अवयव बडे,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ...
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"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि " संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी म...
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"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?" जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित ...
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"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?" --ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ...
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"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -20-06 से 3-062012-तक ?" --मास में पांच मंगलवार का फल उत्तम नहीं है ---- "यत्र...
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---मकर एवं कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि "कालसर्पयोग "हो तो --वैसे जातक खनिज ,पेट्रोलियम ,एसिड ,कोयला ,मेडिकल या केमिकल क्षेत्र मे...
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"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?" --रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती...
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--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा | -----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त ...
"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }
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बुधवार, 22 सितंबर 2010
"अनुभव और निदान ,ज्योतिष एवं कर्मकांड "
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"अनुभव और निदान ,ज्योतिष एवं कर्मकांड "
ज्योतिष गणित के द्वारा हम संसार के सभी प्रकार की जानकारी कर सकते हैं | कुंडली के तृतीय भाव से अपनी प्रभुता ,मान प्रतिठा,पद ,तथा क्षमता की जानकारी कर सकते हैं | यह भाव जितना सशक्त होगा हम उतने ही महँ होंगें |
[१]-मेष ,कर्क ,सिह ,वृश्चिक .धनु एवं मीन राशी यदि तृतीय भाव में हो और इनके स्वामी ,१;५,९,१०, भाव में हो तो हम विशेष पद पर तो आसीन होंगें ही साथ ही लोक प्रिय भी होंगें , तथा अपने परजनों की हम तो सहायता करेंगें ही, किन्तु हमें अपने परिजनों से कोई भी सहायता नहीं मिलेगी |
[२]-वृष ,तुला , मिथुन , कन्या , मकर ,कुम्भ राशी के तृतीय भाव में होने से ,विदेश यात्रा ,एवं निवास ,कूटनितिग्य ,लोकप्रिय शत्रुओं के परम शत्रु , अपने कार्ज़ में दक्ष होते हैं यदि इनका स्वामी भी ,२,४,७,११ भावों में हो तो विशेष धनी भी होते हैं |
[३]-हम रत्न एवं उपाय की परिचर्चा करण से करेंगें | > विशेष काल <
निवेदक झा शास्त्री मेरठ
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