भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 22 सितंबर 2010

"अनुभव और निदान ,ज्योतिष एवं कर्मकांड "

                      "अनुभव और निदान ,ज्योतिष एवं कर्मकांड "
ज्योतिष गणित के द्वारा हम संसार के सभी प्रकार की जानकारी कर सकते हैं | कुंडली के तृतीय भाव से अपनी प्रभुता ,मान प्रतिठा,पद ,तथा क्षमता की जानकारी कर सकते हैं | यह भाव जितना सशक्त होगा हम उतने ही महँ होंगें |
[१]-मेष ,कर्क ,सिह ,वृश्चिक .धनु एवं मीन राशी यदि तृतीय भाव में हो और इनके स्वामी ,१;५,९,१०, भाव में हो तो हम विशेष पद पर तो आसीन होंगें ही साथ ही लोक प्रिय भी होंगें , तथा अपने परजनों की हम तो सहायता करेंगें ही, किन्तु हमें अपने परिजनों से कोई भी सहायता नहीं मिलेगी |
[२]-वृष ,तुला , मिथुन , कन्या , मकर ,कुम्भ  राशी के तृतीय भाव में होने से ,विदेश यात्रा ,एवं निवास ,कूटनितिग्य  ,लोकप्रिय शत्रुओं के परम शत्रु , अपने कार्ज़ में दक्ष होते हैं यदि इनका स्वामी भी ,२,४,७,११ भावों में हो तो विशेष धनी भी होते हैं |
[३]-हम रत्न एवं उपाय की परिचर्चा  करण से करेंगें | > विशेष काल <
निवेदक झा शास्त्री मेरठ |

1 टिप्पणी:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

"अनुभव और निदान ,ज्योतिष एवं कर्मकांड "

ज्योतिष गणित के द्वारा हम संसार के सभी प्रकार की जानकारी कर सकते हैं | कुंडली के तृतीय भाव से अपनी प्रभुता ,मान प्रतिठा,पद ,तथा क्षमता की जानकारी कर सकते हैं | यह भाव जितना सशक्त होगा हम उतने ही महँ होंगें |

[१]-मेष ,कर्क ,सिह ,वृश्चिक .धनु एवं मीन राशी यदि तृतीय भाव में हो और इनके स्वामी ,१;५,९,१०, भाव में हो तो हम विशेष पद पर तो आसीन होंगें ही साथ ही लोक प्रिय भी होंगें , तथा अपने परजनों की हम तो सहायता करेंगें ही, किन्तु हमें अपने परिजनों से कोई भी सहायता नहीं मिलेगी |

[२]-वृष ,तुला , मिथुन , कन्या , मकर ,कुम्भ राशी के तृतीय भाव में होने से ,विदेश यात्रा ,एवं निवास ,कूटनितिग्य ,लोकप्रिय शत्रुओं के परम शत्रु , अपने कार्ज़ में दक्ष होते हैं यदि इनका स्वामी भी ,२,४,७,११ भावों में हो तो विशेष धनी भी होते हैं |

[३]-हम रत्न एवं उपाय की परिचर्चा करण से करेंगें | > विशेष काल <

निवेदक झा शास्त्री मेरठ