भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

मंगलवार, 18 जनवरी 2011

"शुभ कार्यों का शुभारम्भ अमुक समय में न करें !"

       "शुभ कार्यों का शुभारम्भ अमुक समय में न करें !"
जब वर्तमान भूत और भविष्य बन बन जाते हैं ,तो ज्योतिष का प्रारूप भी तो बदल सकता है -"कभी "ज्योतिष  की जब गणना  आचार्य प्रवर करते थे -तो शब्द भी संस्कृत के  होते थे ,समय बदला -संस्कृत भी हिंदी बन कर रह गयी है,जिस कारण से मूल रूप तो समाप्त हो ही गया है =  नाड़ी,घटी पल ,प्रहर को शायद हमारे बच्छे जानेंगें भी नहीं || आज लोग राहुकाल को बहुत जल्दी समझ जाते हैं -किन्तु कुछ कोशिश की जाय तो इस परिभाषा से आप को कौन सा शुभ कार्ज़ कब नहीं करना चाहिए यह विदित हो जायेगा ?-रबो वर्ज्यास चतुश पंच-रविवार को चौथा और पाचवां प्रहर में शुभ कार्ज़ न करें ||सोमे सप्तद्व्यम तथा -सोमवार को दूसरा एवं सातवाँ प्रहर में शुभ कार्ज़ न करें ||कुजे षष्ठ द्वयं तथा -मंगलवार को छठा एवं दूसरा प्रहर वर्जित है शुभ कार्ज़ के लिये ||वुधे वान त्रितीयकम-वुधवार को तीसरा और पांचवां  प्रहर वर्जित है शुभ कार्ज़ के लिये ||गुरों सप्ताष्ट्कम गेयम- गुरूवार को सत्व और आठवां प्रहर का परित्याग करें || त्री चत्वारि च भार्गवे -शुक्रवार को तीसरा और चौथा प्रहर वर्जित है शुभ कार्जों के लिये ||- मित्र बन्धु  -यदि हमें कोई भी शुभ कार्ज़ करने हों तो -पंचांग और भूदेव का सहारा जरुर लेना चाहिए ,इनके आशीर्वाद  से ही सब कार्ज़ मगल मय हो जाता है-किन्तु कुछ छोटे -छोट कार्ज़ भी होते हैं -जो आप इस श्लोक के सहारे भी कर सकते हैं  -प्रहर कहते हैं समय को -दिन और रात मलाकर आठ प्रहर होते हैं ,२४ घंटे का दिन रात होती है,तो एक प्रहर का अर्थ है ३ घंटा ,इसकी जिनती  आप प्रातः ६ से शुरू कर सकतेहैं  -जैसे तीसरा परः किसको कहेंगें तो -दिन के १२ से ३ बजे तक तीसरा प्रहर होगा ||
 भाव मित्र प्रवर -यह एक मंच है -और जब आप आमने सामने होते हैं तो -जो हमारे पास होता जो होता है ओ हम आपको देते हैं एवं जो आपके पास होता है ओ हम आपसे लेते हैं ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री" मेरठ [उत्तर प्रदेश ]
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