""प्रगति कम अवनति अति होगी !"
"ब्रह्म जानाति ईति ब्राह्मणः =ब्रह्म को जानने वालों को ब्रह्मण कहते हैं -संयोग से हम जाती से ब्राह्मण समझते हैं -जबकि उपनयन संकार के वाद ही हम [द्वीज] होते हैं -हमें वेद पढने की अनुमति मिलती है-हमलोग पूर्व की अपेक्षा धन से तो धनी हैं -किन्तु जिस संस्कृत रूपी धन से धनी हो रहे हैं -उसकी उपेक्षा हो रही है -क्योंकि स्वाध्याय से ही -दान को पचा अकते हैं ,शायद यह विवाद की वस्तु हो गयी है -जीवकोपार्जन सबको करना चाहिए ,परन्तु जिस संस्कृत के बल पर हम -आदरणीय होते हैं -उसके लिये हम अपने सनानों को तो परित कर ही सकते हैं -माता शत्रु पिता वैरी -वो माता पिता अपनी संतानों के परम शत्रु हैं |-येन बालो न पाठ्यितः -जो बच्चों को पढ़ाते नही हैं |- न शोभते सभा मध्ये -जो बच्चें पढ़ते नहीं हैं वो किसी सभा के शोभा नहीं होते हैं|-हंस मध्ये वको यथा -जिस प्रकार से हंस की सभा में बगुला शोभित नहीं होता है || संस्कृत की शिक्षा के लिये -ब्याकरण ,साहित्य ,वेद एवं ज्योतिष हैं -किन्तु इन चारों में अन्योंन्यासरय सम्बन्ध भी है -ब्याकरण के विना हम -ब्याक्रियंते बुतपद्यान्ते श्ब्दा अनेन ईति ब्याकरनम- ब्याकरण के विना हम शुद्ध -शुद्ध हम न लिख पायेंगें न ही बोल पायेंगें | साहित्य -हितेन सह सहितः सहितस्य भावः साहित्यम -समाज में सामाजिकता यदि हमें नहीं आएगी तो हम अपनी विशेष छबी नहीं बना पायेंगें || वेद -कर्मकांड का प्रतिपादन -सर्वे भवन्तु सुखिनः -यह वेद के द्वारा ही संभव है जो सबको साथ ले चलता है ,जिससे सबका हित होता है || ज्योतिष -समय का प्रतिपादन ज्योतिष शास्त्र करते हैं -किसी कार्ज़ को करने के लिये मुहूर्त की जानकारी हमें ज्योतिष से मिलती है -ये चारो एक दूसरे के पूरक है -परन्तु यह आश्चय सा प्रतीत होता है -कि हमलोग अपनी संस्कृति के हम ही बाधक हैं ,जब हम सही जानकारी ही नहीं रखेंगें तो न हम अपनी रक्षा करेंगें और नहीं विश्व कि रक्षा कर पायेंगें || भाव -जरुरत है अपनी संस्कृति को अपनाने की,दुसरे को प्रेरणा देने की -मित्र बन्धु गण -हमें लगता है कि लोग हमें आदर करते हैं-सच तो यह है जो हमारे महर्षियों ने -शांडिल्य ,बशिष्ठ ,विस्वामित्र दधीची इत्यादि के कृत्य त्याग का प्रतिफल हमलोग पा रहे हैं -आइये हमारे बच्चे भी हमारे कृत्य सत्कर्म का लाभ उठायें यह विचार हमलोग भी करें ?!
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री "मेरठ [उत्तर प्रदेश ]
निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि ८ से९ आमने सामने ||
संपर्क सूत्र - 09897701636=9358885616
-एकबार सभी मित्रों को निःशुल्क ज्योतिष सेवा संपर्क सूत्र से मिलेगी । -आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
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"कुम्भ राशि-के जातक के स्वभाव और प्रभाव ?" इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊँचा ,अवयव बडे,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ...
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"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि " संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी म...
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"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?" जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित ...
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"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?" --ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ...
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"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -20-06 से 3-062012-तक ?" --मास में पांच मंगलवार का फल उत्तम नहीं है ---- "यत्र...
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---मकर एवं कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि "कालसर्पयोग "हो तो --वैसे जातक खनिज ,पेट्रोलियम ,एसिड ,कोयला ,मेडिकल या केमिकल क्षेत्र मे...
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"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?" --रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती...
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--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा | -----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त ...
"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }
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बुधवार, 19 जनवरी 2011
""प्रगति कम अवनति अति होगी !"
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