"सूर्य और आकाश ज्योतिष का प्रकाश !"
मित्र प्रवर ,राम राम ,नमस्कार |
ज्योतिष एक समुद्र है जिसका हम जितना मंथन करेंगें ,हमें अनुभव भी उतने ही होंगें || जब हम -ज्योतिष शब्द का पर्योग करते हैं तो हमें आश्चर्य होता है -कि केवल राशिफल के लिए उत्कंठा होती है ,यद्यपि -भविष्य में घटित घटना की जानकारी मिलती है ज्योतिष के द्वारा यह तो सभी जानते हैं ,किन्तु -परामर्शदाता के ऊपर यकीन बहुत कम लोग ही कर पाते हैं-सही भी है || समय के बदलाव के कारण हमलोग शास्त्रों के स्पर्श कम करने लगे हैं || ज्योतिष की जानकारी और ज्योतिष को समझने के लिए "खगोल " को जाने विना कुछ समझना असंभव है ?-
आइये कुछ -निचोड़ने की कोशिश करते हैं -"खगोल में जो रिक्तता है उसे ही हम आकाश कहते हैं |ये जो रिक्त और शून्य क्षेत्र है वो अति व्यापक और विस्तृत है |
[१]-भूगोल शास्त्रियों ने इस खगोल को क्रमशः तीन भागों में विभाजित किया है -[१]-उत्तरीय क्षेत्र ,[२]मध्य क्षेत्र ,[३]-दक्षिण क्षेत्र ,इस प्रकार से सूर्य ,गति संक्रमण ओ बांधा है| उत्तरी क्षेत्र में -एक कल्पित रेखा खीची है,जिसे कर्क रेखा की संज्ञा दी गयी है | मध्य क्षेत्र में -विषुवत रेखा और दक्षिण क्षेत्र में मकर रेखा के नाम से सुनते हैं |[या लोग जानते हैं ] -यह तीनो -कटिबंध [रेखाएं ]-सूर्य की गति के आधारभूत हैं|जब सूर्य उत्तर दिशा की ओर संक्रमण करता है तो उत्तरायण ,और जब दक्षिण दिशा में होते हैं तो दक्षिणायन के रूप में हमलोग जानते हैं ||
भाव -प्रिय मित्र बंधू -हमारा यह परयास रहता है ,कि हम जब भी आप मित्रों से मिलें तो कुछ सही बात को -जो हमें गुरुजनों से मिली है ,जो हमने अध्ययन किया है ,और जो आप मित्रों के भविष्य में लाभ दे ,जिससे आने वाले समय में दिक्कत न हो -उन बातों को हम आप तक लाने का परयास करते हैं ,जो आप मित्रों को सही लगे उसे स्वीकार करें ,जो निरर्थक लगे उसे त्याग दें क्योंकि गलती तो सबसे होती है ||
निः शुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि ८ से ९ में प्राप्त करें ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें