भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 30 मार्च 2011

"वृष [राशि]-का स्वभाव और प्रभाव ?"

         "वृष [राशि]-का स्वभाव और प्रभाव ?"
मित्रप्रवर ,[राम -राम] नमस्कार |
        वृष राशि के जितने भी जातक होंगें ,चाहे उनकी कुंडली हो या न हो ,किन्तु यदि उनकी राशि वृष है तो -स्वभाव और प्रभाव भी यथावत होंगें | आप चाहें तो परखकर देख लें ?
      ज्योतिषशास्त्र में  वृष राशि का स्थान मुख में है | मुख से अभिप्राय -जिह्वा ,कपोल ,गला एवं गर्दन से भी है |शारीर के इन भागों में इसका प्रभाव पड़ता है |इसकी अवस्था तरुण है |रंग गौरवर्ण ,पृथ्वी तत्व वाली है | इस राशि के जातकों का मन शांत ,सुकोमल और स्वभाव सरल एवं मधुर होते हैं |काव्य की अनुभूतियाँ और भावनाएं ह्रदय में दबी सी रहती हैं | कलावंत की कला कंठ से फूटती रहती है |
            वृष राशि वाला व्यक्ति गायक और कुशल वादक होता है |यह राशि रात्रि में बलवान होती है,शरीर लम्बा होता है | जाति ब्राहमण है |सम है ,धर्म का द्योतक है |इस राशि का व्यक्ति आज्ञापालक होता है ,और धार्मिक भाव का समर्थक भी होता है |सेवा सुश्रूषा करने में अभिरुचि होती है ,एवं ललित कलाओं का पारखी भी होता है|इसकी स्थिति विषुवत रेखा से २०.०पर मानी गयी है|
              भाव -इसकी दिशा पूर्व है |यह कृतिका के तीन चरण ,रोहिणी एवं मृगशिरा के दो चरण अपने अन्दर निहित रखती है |क्योंकि यह राशि -रोहिणी नक्षत्र पर आधृत है |इस कारन इसका अनुचारी -धनवान ,उपकार को मानने वाला ,बुद्धिमान ,राजा से मान्य,प्रिय बोलने वाला ,सत्यवक्ता और सुन्दर रूप वाला होता है ||
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