भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

"तुला [राशि] -के जातकों के स्वभाव एवं प्रभाव आकलन आप ही करें ?"

         "तुला [राशि] -के जातकों के स्वभाव एवं प्रभाव आकलन आप ही करें ?"  
  यह पुरुष जाति,चर संज्ञक ,वायु तत्व ,पश्चिम दिशा की स्वामिनी ,अल्प संतान वाली ,श्याम एवं गौरवर्ण , शूद्र  संज्ञक,दिनबली ,क्रूर स्वभाव एवं पाद्जल राशि है| इसका प्राकृतिक स्वभाव विचारशील ,ज्ञानप्रिय,कार्ज संपादक   और राजनीतिग्य है |इससे नाभि के नीचे का विचार किया जाता है ||
               अस्तु -चित्रा के दो चरण,स्वाति और विशाखा के तीन चरण इसमें समाहित है |स्वाति नक्षत्र में उत्पन्न जातक अत्यंत चतुर ,धर्मात्मा ,कृपण [कंजूस ] स्त्रियों का प्रेमी [या पुरुषों का प्रेमी ],शुशील और देवताओं का भक्त होता है ||
              भाव -तुला राशि में विशाखा नक्षत्र ऐसी ही प्रक्रिया करता है | वो जातक को लोभी ,मानी ,कठोर ,कलहप्रिय एवं वेश्यागामी बनाये बिना नहीं रहता है| इसकी युवावस्था है | यह समानता ,अनुरूपता एवं न्याय की प्रतीक राशि मानी गयी है |इस राशि को नीतिशास्त्र ,धर्मशास्त्र ,न्याय एवं स्मृति का अधिष्ठाता तत्व मानते हैं | इसको हाट एवं व्यवसाय प्रिय है\इसकी जाति वैश्य है |दुर्बलता और घबराहट हर समय इस राशि वालों के साथ रहती है |इस राशि वाला व्यक्ति प्रपंच भरी निति से कार्ज करता है और धर्मात्मा होते हुए भी क्रूर बन जाता है |
      भवदीय निवेदक " झा शास्त्री "
    दिनांक १४-०४-२०११ तक -सेवा के लिए खेद है ?"         

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