"वृश्चिक राशि- के स्वभाव और प्रभाव ,आकलन आपके द्वार ?"
मित्रप्रवर ,राम राम ,नमस्कार |
आपकी राशि यदि वृचिक है तो ये बातें आपसे मिलती होंगीं ,साथ ही आपका स्वभाव और प्रभाव भी यथाबत होंगें | अस्तु --यह राशि स्थिर -संज्ञक,शुभ्रवर्ण,स्त्री जाती ,जल तत्व ,उत्तर दिशा की स्वामिनी होती है |रात्रिबली,कफ -पकृति ,बहुत संतति ,ब्राह्मण वर्णऔर अर्धजल राशि है | इसका प्राकृतिक स्वभाव दंभी,हठी ,दृढ प्रतिग्य,स्पष्टवादी और निर्मल है |इससे गुदा और जनेन्द्रिय रोग का विचार किया जाता है | अनुराधा ,ज्येष्ठा और विशाखा का एक चरण इसमें व्याप्त है | इसका प्रतीक -बिच्छू है,जो अपने जन्मजात स्वभाव का कभी परित्याग और परिहार नहीं करता है | सूर्यस्पर्शन से रोगों का बाहुल्य रहता है |इसका स्वामी -मंगल है |अनुराधा नक्षत्र अपने पुरुषार्थ और साहस से प्रवासी [परदेश में रहने वाला ]होता है | भाई बहनों को अधिक सम्मान देता है |उनके प्रत्येक कार्ज संपन्न करने के लिए उद्यत रहता है और शूरवीर होता है ||
आचार्यों ने ज्येष्ठा नक्षत्र का सीमांकन करते हुए कहा है -
"बहु मित्र प्रधानश्च कवि दिंतो विचक्षणः|
ज्येष्ठजातो धर्मरतो जायते शूद्रपूजितः ||
भाव -इसका आशय यह है -कि ज्येष्ठा नक्षत्र की राशि वृश्चिक में उत्पन्न मानव अधिक मित्र वाला ,सर्वश्रेष्ठ ,कव्य्कर्ता ,सहनशील ,,पंडितपटु ,धर्म में तत्पर और सेवक [शूद्र] से पूजित होता है | वैसे यह राशि अनुराग और आसक्ति की प्रतीक हिया | गरलभूत है | तामसिक विचारों में खो भी जाती है ||
इस राशि के द्रव्य लोहा एवं इक्षु -गन्ना अथवा इससे निर्मित वस्तुएं -गुड ,शक्कर आदि तथा औषधी ,तेल सुपारी ,रूई ,सरसों ,इतर आदि है | यह अनुसन्धान कर्मियों पर अपना भरपूर प्रभाव डालती है |इस राशि के जातक को इन तमाम क्षेत्रों में भी कोशिश करनी चाहिए -सफलता जरुर मिलती है ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " मेरठ |
निःशुल्क ज्योतिष सेवा [परामर्ष] रात्रि ८ से९ ऑनलाइन या सम्पर्कसूत्र से [केवल मित्रों के लिए ]
-09897701636 ,09358885616
मित्रप्रवर ,राम राम ,नमस्कार |
आपकी राशि यदि वृचिक है तो ये बातें आपसे मिलती होंगीं ,साथ ही आपका स्वभाव और प्रभाव भी यथाबत होंगें | अस्तु --यह राशि स्थिर -संज्ञक,शुभ्रवर्ण,स्त्री जाती ,जल तत्व ,उत्तर दिशा की स्वामिनी होती है |रात्रिबली,कफ -पकृति ,बहुत संतति ,ब्राह्मण वर्णऔर अर्धजल राशि है | इसका प्राकृतिक स्वभाव दंभी,हठी ,दृढ प्रतिग्य,स्पष्टवादी और निर्मल है |इससे गुदा और जनेन्द्रिय रोग का विचार किया जाता है | अनुराधा ,ज्येष्ठा और विशाखा का एक चरण इसमें व्याप्त है | इसका प्रतीक -बिच्छू है,जो अपने जन्मजात स्वभाव का कभी परित्याग और परिहार नहीं करता है | सूर्यस्पर्शन से रोगों का बाहुल्य रहता है |इसका स्वामी -मंगल है |अनुराधा नक्षत्र अपने पुरुषार्थ और साहस से प्रवासी [परदेश में रहने वाला ]होता है | भाई बहनों को अधिक सम्मान देता है |उनके प्रत्येक कार्ज संपन्न करने के लिए उद्यत रहता है और शूरवीर होता है ||
आचार्यों ने ज्येष्ठा नक्षत्र का सीमांकन करते हुए कहा है -
"बहु मित्र प्रधानश्च कवि दिंतो विचक्षणः|
ज्येष्ठजातो धर्मरतो जायते शूद्रपूजितः ||
भाव -इसका आशय यह है -कि ज्येष्ठा नक्षत्र की राशि वृश्चिक में उत्पन्न मानव अधिक मित्र वाला ,सर्वश्रेष्ठ ,कव्य्कर्ता ,सहनशील ,,पंडितपटु ,धर्म में तत्पर और सेवक [शूद्र] से पूजित होता है | वैसे यह राशि अनुराग और आसक्ति की प्रतीक हिया | गरलभूत है | तामसिक विचारों में खो भी जाती है ||
इस राशि के द्रव्य लोहा एवं इक्षु -गन्ना अथवा इससे निर्मित वस्तुएं -गुड ,शक्कर आदि तथा औषधी ,तेल सुपारी ,रूई ,सरसों ,इतर आदि है | यह अनुसन्धान कर्मियों पर अपना भरपूर प्रभाव डालती है |इस राशि के जातक को इन तमाम क्षेत्रों में भी कोशिश करनी चाहिए -सफलता जरुर मिलती है ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " मेरठ |
निःशुल्क ज्योतिष सेवा [परामर्ष] रात्रि ८ से९ ऑनलाइन या सम्पर्कसूत्र से [केवल मित्रों के लिए ]
-09897701636 ,09358885616
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