मित्रप्रवर -राम राम ,नमस्कार | सूर्य और चंद्रमा के वर्षों में भेद होता है |सूर्य का वर्ष ३६५ दिनों से कुछ अधिक और चन्द्र वर्ष लगभग ३५४ दिन का होता है | इस कारण दोप्नो प्रकार के वर्षों में अंतर अगर कायम रखा जाय -तो कभी तो "भाद्र" का महिना पड़े वर्षा रितुं में , कभी प्रचंड गर्मी में और कभी घोर जाड़े में !ऐसा न हो ,इसलिए दोनों प्रकार के वर्षों में ११ दिन के अंतर को मिटाने के लिए "मलमास " या अधिकमास { पुरुषोतम मास भी कहते हैं }की योजना कर दी गयी है ||
नोट -जब दो संक्रन्तियों के बीच में एक चन्द्र वर्ष पड़ जाता है ,तो उसे "अधिकमास " कहते हैं | इस कारण ताजिये और रोजे { चंद्रमास के हिसाब से } कभी जाड़े में होते हैं और कभी गर्मियों में ||
अधिकमास का फलादेश = इस मास में उत्पन्न व्यक्ति सांसारिक विषयों से बुध्ही को वंचित रखने वाला ,सुन्दर चरित्र व तीब्र बुध्ही वाला ,तीर्थ स्थलों की यात्रायें करने वाला,रोगहीन ,सर्वप्रेमी तथा अपना कल्याण करने वाला होता है||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री "
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