भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

मंगलवार, 19 जून 2012

"कालसर्प योग किसे कहते हैं ?"

"कालसर्प योग किसे कहते हैं ?"
--बहुचर्चित कालसर्पयोग मूलतः कहाँ से आया ?फलित ज्योतिष में इसकी शुरुआत कहाँ से हुई ?इसके प्रवर्तक आचार्य कौन थे ?कालसर्पयोग का प्रभाव होता भी है या नहीं ?
------जातक की कुण्डली का अवलोकन करते समय इस योग पर विचार करना चाहिये या नहीं ?इन प्रशनों का समाधान आज के वैज्ञानिक युग में नितांत आवश्यक है ।
-----समान्यतः जन्मकुंडली के समस्त ग्रह जब राहु और केतु के बीच में कैद हो जाते हैं -तो उसे कालसर्प योग कहते हैं ।राहु को सर्प का मुख और केतु को सर्प की पूछ कहते हैं ।
----काल का अर्थ है -मृत्यु ।यदि अन्य ग्रह योग बलवान न हो तो कालसर्पयोग में जन्मे शिशु की मृत्यु शीघ्र हो जाती है ।यदि जीवित रहता है तो -मृत्यु -तुल्य कष्ट भोगता है ।ज्योतिष शास्त्र में इस योग के प्रति मान्यता प्रायः अशुभफल की सूचक है ।।
------भवदीय -निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
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