भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शनिवार, 10 नवंबर 2012

वैवाहिक जीवन की आयु अर्थात "भकूटदोष"?

      वैवाहिक जीवन की आयु अर्थात "भकूटदोष"?
-------दाम्पत्य जीवन सरस हो ,प्रेम की अविरल धारा वहती हो अर्थात सभी सुख हो किन्तु अवधि {आयु }लम्बी न हो तो फिर पुत्र ,पौत्र के बिना वैवाहिक जीवन अधूरा रहता है । ये वैवाहिक जीवन दीर्घायु हो इसलिए "भकूट दोष अर्थात राशि मिलान करते  हैं ।
         "मृत्युह षडाष्ट के ज्ञेयो पत्य्हा निर्नवात्माजे ।
          द्विर्द्वादशो दरिद्रत्व्म द्वयोर्न्यत्र सौख्यक्रित ।।
-----अर्थात -वर -कन्या की राशियों का स्वामी ग्रह एक ही हो ,अथवा दोनों राशियों में मैत्री हो तथा नाड़ी नक्षत्र शुद्ध रहे तो दुष्ट "भकूट दोष "में भी विवाह शुभ होता है ।
    --------किन्तु उक्त शलोक में --{1}-वर की राशि से कन्या की राशि तक और कन्या की राशि से वर की राशि तक गिनने पर -6/8-संख्या हो तो दोनों {पति -पतनी }को चोट पहुँचती है ।
         {2}-अगर ये संख्या -9/5-हो तो संतानों को माता -पिता से या संतान से माता -पिता को हानी सहनी पड़ती है ।
{3}-यदि गिनती से शेष संख्या -2/12-हो तो वैवाहिक जीवन में गरीबी अर्थात धन की दुखद स्थिति रहती है ।
 {4}-अशुभ केंद्र योग -4/10-को माना गया है । ये चार प्रकार के सम्बन्ध --षडाष्टक {6/8}-नव -पंचम -{9/5}-द्वि द्वादश -{2/12}--और केंद्र योग ये ज्योतिष के कई ग्रंथों में अशुभ माने गये है ।
   नोट ---ज्योतिष का भाव डराने का  नहीं अपितु आपका वैवाहिक जीवन सुखद हो इसलिए ज्योतिष की सलाह अवश्य लेनी चाहिये ।अगर प्रेम या पसंद हो तो विवाह के समय उन नामों से न करें जो दोष कारक हों ?
    प्रेषकः -"झा शास्त्री "{मेरठ -भारत }
         सहायता सूत्र -9897701636-9358885616-------!!

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