भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

बुधवार, 22 सितंबर 2010

"अनुभव और निदान, ज्योतिष एवं कर्मकांड "

                    "अनुभव और निदान, ज्योतिष तथा कर्मकांड "
माता पिता चाहें तो संतान "राम ,कृष्ण " की तरह भी हो सकती है | जब हम अपनी संस्कृति से विमुख हैं तो हमें अनुभव कहाँ से होगा ,किन्तु आज सभी शिक्षित हैं ,थोडा प्रयत्न करें  तो  हमारी संतानें और भी उत्तम हो सकती हैं | वैदिक परम्पराओं में [२]-"संस्कार" का नाम "पुंसवन संस्कार "है -यह संस्कार गर्भ के तृतीय मास में शुभ मुहूर्त एवं अपने अग्रजों [बड़े लोगों ] के साथ संपन्न होता है | प्रायः जातक के अंग प्रत्यंग बनने इसी मास से शुरू हो जाते हैं | हमें जो संतान चाहिए उसके लिए वाई नाक के में वड का दूध लेने से पुत्री एवं दायीं नाक में वड का दूध डालने पुत्र की प्राप्ति होती है |  तृतीय संस्कार का वर्णन हम कल करेंगें | निवेदक- झा शास्त्री मेरठ | 

1 टिप्पणी:

ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ } ने कहा…

"अनुभव और निदान, ज्योतिष तथा कर्मकांड "

माता पिता चाहें तो संतान "राम ,कृष्ण " की तरह भी हो सकती है | जब हम अपनी संस्कृति से विमुख हैं तो हमें अनुभव कहाँ से होगा ,किन्तु आज सभी शिक्षित हैं ,थोडा प्रयत्न करें तो हमारी संतानें और भी उत्तम हो सकती हैं | वैदिक परम्पराओं में [२]-"संस्कार" का नाम "पुंसवन संस्कार "है -यह संस्कार गर्भ के तृतीय मास में शुभ मुहूर्त एवं अपने अग्रजों [बड़े लोगों ] के साथ संपन्न होता है | प्रायः जातक के अंग प्रत्यंग बनने इसी मास से शुरू हो जाते हैं | हमें जो संतान चाहिए उसके लिए वाई नाक के में वड का दूध लेने से पुत्री एवं दायीं नाक में वड का दूध डालने पुत्र की प्राप्ति होती है | तृतीय संस्कार का वर्णन हम कल करेंगें | निवेदक- झा शास्त्री मेरठ |