"आप माने या न माने "
साल में १५ दिन के लिए पितृ पक्ष का समागम होता है | शास्त्रों का मत भी है .एवं किंबदंती भी है ,कि पितृगण इस पक्ष में अपने वंशों की रक्षा हेतु [ कल्याण ] किसी न किसी रूप में जरुर भूमंडल पर आते हैं | जो लोग तर्पण ,श्राद्ध ,विस्वेदेवा ,ब्राह्मन भोजन कराते हैं, तो उससे वो तृप्त होकर आशीर्वाद देते हुए अपने -अपने लोक को चले जाते हैं ,किन्तु जो लोग ये कर्म नहीं करते हैं, तो उनके पितृ भूमंडल पर आकर बहुत ही दुखित हो जाते हैं ,एवं रहते तो १५ दिन भूमंडल पर ही हैं ,किन्तु पहले तो वो यह कामना करते हैं. कि यदि हमारे वंश का कोई भी हमें तिलांजलि दे दे तो भी हम ख़ुशी पूर्वक अपने -अपने लोकों को चले जायेंगें ,किन्तु जब उन्हें किसी के द्वारा कुछ भी प्राप्त नहीं होता है ,तो वो कुपित होकर चले जाते हैं ,और साथ ही शाप से वो परिवार ग्रसित हो जाता है |
>अब जानते हैं ,कि उनका आगमन किन किन रूपों में होता है ? हमारे पित्रीगण बहुत ही सूक्षम रूप धारण कर किसी न किसी जीव में समाहित हो जाते हैं वो चाहे -कुत्ता हो ,बिल्ली हो ,कोएँ हों या गाय हों या फिर विस्वेदेवा ही हो -इसलिए हम लोग श्राद्ध के दिन इन जीवों को श्रद्धा सुमन "अन्न " अर्पण करते हैं | भाव -यदि आपने अपने पूर्वजों के लिए नहीं करेंगें तो क्या आने वाली पीढ़ी आपके लिए कुछ करेगी | >विशेष कल < निवेदक झा शास्त्री मेरठ |
-एकबार सभी मित्रों को निःशुल्क ज्योतिष सेवा संपर्क सूत्र से मिलेगी । -आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
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"कुम्भ राशि-के जातक के स्वभाव और प्रभाव ?" इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊँचा ,अवयव बडे,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ...
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"संस्कृत साहित्य और महाकवि "भारवि " संस्कृत साहित्य में बहुत से महा कवि हुए ,किन्तु कवि "भारवि भी म...
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"आयु तो निश्चित है,मनन करें, अष्टम भाव का ?" जीवों की आयु का निर्णय तो "व्रह्माजी " माँ के गर्भ में ही निर्धारित ...
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"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?" --ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ...
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"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -20-06 से 3-062012-तक ?" --मास में पांच मंगलवार का फल उत्तम नहीं है ---- "यत्र...
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---मकर एवं कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि "कालसर्पयोग "हो तो --वैसे जातक खनिज ,पेट्रोलियम ,एसिड ,कोयला ,मेडिकल या केमिकल क्षेत्र मे...
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"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?" --रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती...
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--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा | -----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त ...
"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }
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मंगलवार, 28 सितंबर 2010
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"आप माने या न माने "
साल में १५ दिन के लिए पितृ पक्ष का समागम होता है | शास्त्रों का मत भी है .एवं किंबदंती भी है ,कि पितृगण इस पक्ष में अपने वंशों की रक्षा हेतु [ कल्याण ] किसी न किसी रूप में जरुर भूमंडल पर आते हैं | जो लोग तर्पण ,श्राद्ध ,विस्वेदेवा ,ब्राह्मन भोजन कराते हैं, तो उससे वो तृप्त होकर आशीर्वाद देते हुए अपने -अपने लोक को चले जाते हैं ,किन्तु जो लोग ये कर्म नहीं करते हैं, तो उनके पितृ भूमंडल पर आकर बहुत ही दुखित हो जाते हैं ,एवं रहते तो १५ दिन भूमंडल पर ही हैं ,किन्तु पहले तो वो यह कामना करते हैं. कि यदि हमारे वंश का कोई भी हमें तिलांजलि दे दे तो भी हम ख़ुशी पूर्वक अपने -अपने लोकों को चले जायेंगें ,किन्तु जब उन्हें किसी के द्वारा कुछ भी प्राप्त नहीं होता है ,तो वो कुपित होकर चले जाते हैं ,और साथ ही शाप से वो परिवार ग्रसित हो जाता है |
>अब जानते हैं ,कि उनका आगमन किन किन रूपों में होता है ? हमारे पित्रीगण बहुत ही सूक्षम रूप धारण कर किसी न किसी जीव में समाहित हो जाते हैं वो चाहे -कुत्ता हो ,बिल्ली हो ,कोएँ हों या गाय हों या फिर विस्वेदेवा ही हो -इसलिए हम लोग श्राद्ध के दिन इन जीवों को श्रद्धा सुमन "अन्न " अर्पण करते हैं | भाव -यदि आपने अपने पूर्वजों के लिए नहीं करेंगें तो क्या आने वाली पीढ़ी आपके लिए कुछ करेगी | >विशेष कल < निवेदक झा शास्त्री मेरठ |
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