"मंगली दोष का निदान [एक नजर ] !"
"आयु कर्म च वित्तं च ,विद्या निर्धन मेव च |
पंचैत्र्नाय्पी सिध्यन्ति ,गर्भास्थासैव देहिनः || =यदपि यह सत्य है ,जब हम माँ के गर्भ में आते हैं,तो विधाता हमारे भाग्य की रचना जब ही कर देते हैं -जैसे -हमारी आयू कितनी होगी ,कर्म -हमारे कर्म-क्या होंगें ,हमारी संपत्ति कितनी होगी ,विद्या -कितनी प्राप्त होगी ,निर्धनता -कितनी रहेगी ,|| इसी बात के आधार पर-जन्म कुंडली बनायीं जाती है -संसार की सभी गणना सीधी होती है किन्तु -ज्योतिष की गणना उलटी अर्थात वाम भाग से होती है -संकेत साफ है -कि जो आपने किया है-हम उसी के आधार पर जातक के भविष्य में घटित घटना का उल्लेख "ज्योतिष "के मध्यम से करते हैं || जो हमने कर्म कीये थे-उसका प्रतिफल हमें प्राप्त हो रहे हैं ,किन्तु जो हम करेंगें वो भी हमें मिलेगें -इसी लिये -शांडिल्य नामके ऋषि ने ,भगवान् मनु ने सभी महर्षियों ने -कर्मकांड का प्रतिपादन किया -जिसके द्वारा आप अपने कष्ट को दूर कर सकते हैं ||
= मंगली होना कोई बड़ी बात नहीं है -यदि समाधान हो जाये तो उतना दुःख नहीं देता है,यह दोष स्वतः भी २८ वर्ष के उपरांत कम भी हो जाता है || यदि जातक मंगली दोष से युक्त हो तो -कुम्भ विवाह करना चाहिए || यदि जातिका -मंगली हो तो शालिग्रामजी से या श्वेतार्क से या पीपक इत्यादि से गुप्त विवाह करना चाहिए ,जिससे - दाम्पत्य जीवन सुखमय बना रहे ||
भाव -कर्मकांड का निर्माण भौतिक सुख के साथ -साथ परमानन्द प्राप्ति के लिये ही महर्षियों ने किया ,कितु जब यजमान और आचार्य -निष्ठां से भाव से अनुष्ठान करेंगें तो प्रतिफल भी निश्चित मिलेगा || परन्तु आजलक हमलोग अनुष्ठान संकीर्णता वश भी करते हैं पैमाना से माप कर करते हैं जिस कारण से सही फल प्राप्त नहीं हो पाता है ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"
निःशुल्क "ज्योतिष "सेवा रात्रि ८ से९ आमने सामने मिलती है ||
"आयु कर्म च वित्तं च ,विद्या निर्धन मेव च |
पंचैत्र्नाय्पी सिध्यन्ति ,गर्भास्थासैव देहिनः || =यदपि यह सत्य है ,जब हम माँ के गर्भ में आते हैं,तो विधाता हमारे भाग्य की रचना जब ही कर देते हैं -जैसे -हमारी आयू कितनी होगी ,कर्म -हमारे कर्म-क्या होंगें ,हमारी संपत्ति कितनी होगी ,विद्या -कितनी प्राप्त होगी ,निर्धनता -कितनी रहेगी ,|| इसी बात के आधार पर-जन्म कुंडली बनायीं जाती है -संसार की सभी गणना सीधी होती है किन्तु -ज्योतिष की गणना उलटी अर्थात वाम भाग से होती है -संकेत साफ है -कि जो आपने किया है-हम उसी के आधार पर जातक के भविष्य में घटित घटना का उल्लेख "ज्योतिष "के मध्यम से करते हैं || जो हमने कर्म कीये थे-उसका प्रतिफल हमें प्राप्त हो रहे हैं ,किन्तु जो हम करेंगें वो भी हमें मिलेगें -इसी लिये -शांडिल्य नामके ऋषि ने ,भगवान् मनु ने सभी महर्षियों ने -कर्मकांड का प्रतिपादन किया -जिसके द्वारा आप अपने कष्ट को दूर कर सकते हैं ||
= मंगली होना कोई बड़ी बात नहीं है -यदि समाधान हो जाये तो उतना दुःख नहीं देता है,यह दोष स्वतः भी २८ वर्ष के उपरांत कम भी हो जाता है || यदि जातक मंगली दोष से युक्त हो तो -कुम्भ विवाह करना चाहिए || यदि जातिका -मंगली हो तो शालिग्रामजी से या श्वेतार्क से या पीपक इत्यादि से गुप्त विवाह करना चाहिए ,जिससे - दाम्पत्य जीवन सुखमय बना रहे ||
भाव -कर्मकांड का निर्माण भौतिक सुख के साथ -साथ परमानन्द प्राप्ति के लिये ही महर्षियों ने किया ,कितु जब यजमान और आचार्य -निष्ठां से भाव से अनुष्ठान करेंगें तो प्रतिफल भी निश्चित मिलेगा || परन्तु आजलक हमलोग अनुष्ठान संकीर्णता वश भी करते हैं पैमाना से माप कर करते हैं जिस कारण से सही फल प्राप्त नहीं हो पाता है ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"
निःशुल्क "ज्योतिष "सेवा रात्रि ८ से९ आमने सामने मिलती है ||
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