"धनु राशि-के जातकों के स्वाभाव एवं प्रभाव ?निर्णय आपही करें ?"
प्रिय सहपाठीगण,राम -राम ,नमस्कार ||
श्री 'हर्ष" रचित नैषधीयचरितमहाकाव्य-के अनुसार जिस देश के पक्षी भी वेदों को जानते हों ? उस देश के मानव की स्थिति का आकलन करना अनभिज्ञता का प्रतीक होगा | अतः हमारे मित्रबंधु सभी विद्वान् के साथ -साथ मर्मग्य भी हैं -इसलिए हम निर्णय आपके ऊपर ही छोर देते हैं | क्योंकि हम तबतक उन बातों को सही नहीं मानते हैं जबतक शास्त्रों के साथ -साथ मित्रों की सहमती न हो ........!!
अस्तु -धनु राशि की जाति पुरुष है,कांचन वर्ण,द्विस्वभाव ,क्रूरसंग्यक ,पित्त प्रकृति,दिन्बली ,पूर्वदिशा की स्वामिनी ,दृढ शरीर,अन्गितत्व ,क्षत्रिय वर्ण ,अल्प संतति एवं अर्ध जल राशि है |इसका प्राकृतिक स्वाभाव -अधिकार प्रिय ,करुणामय और मर्यादा का इक्षुक है |इससे पैरों की संधि और जंघाओं का भी विचार किया जाता है ||
मूल ,पूर्वाषाढ़ा,उत्तराषाढा का एक चरण इसमें व्याप्त रहता है | आचार्यों का विस्वास है -कि जो व्यक्ति धनु राशि का होकर मूल नक्षत्र में जन्म लेता है वो सुख से संपन्न ,धन से युक्त ,वाहन से युक्त,हिंसा करने वाला ,बलशाली ,स्थिर -प्रज्ञा लेकर अविचलता के साथ कार्ज करने वाला होता है |
अपने प्रताप से शत्रुओं का दमन करता है | पंडित और पवित्र होता है |पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का जातक यदि धनु राशि का हो ,तो वो देखने पर ही उपकार करने वाला ,भाग्यवान ,स्वजनों का प्रिय और अनेक विषयों का पंडित होता है |उत्तरा षाढ़ा का जातक बहुत मित्र वाला,दीर्घ कलेवर वाला ,अति विनयी ,सर्व सुखी ,शूरवीर और विजयी होता है ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"
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