"मकर "राशि"-के जातकों के स्वभाव एवं पभाव यथावत होंगें ?"
मित्रप्रवर-राम राम ,नमस्कार |
मकर राशि के जातकों के स्वभाव एवं प्रभाव के साथ -साथ दिशा -दशा का आकलन भी करें-अपनी डगर पर आप मजबूत कैसे हो सकते हो -इसलिए कुछ विशेष बातों को लेकर हम लेखन के माध्यम से पहुँचने की कोशिश करते हैं -हमारी कोशिश से यदि आपकी राह सही बन सकती है -तो हमारी सेवा सार्थक होगी -आप इस पथ को अपनाएं ?
अस्तु -चर संज्ञक,स्त्री जाति,पृथ्वी तत्व ,वात प्रकृति,पिंगल वर्ण ,बली ,विषय बली,शिथिल शरीर और दक्षिण दिशा की स्वामिनी होती है | इसका प्राकृतिक स्वभाव उच्च दशाभिलाषी है | इससे घुटनों का विचार किया जाता है | इस राशि को मृग भी कहा गया है और कही -कहीं "अज " संज्ञा भी दी गयी है |यह सेवा की प्रतीक है |कुछ विद्वान इस राशि की कल्पना -नर्क और मकर रूप में बी करते हैं ||
भाव ----- यह समदेह वाली राशि है | रजोगुणी है ,भूतत्व प्रधान है और शुद्र जाति की है |इसका अधिकार -राजसत्ता और राजसीकांक्षा एवं सेवा भावनाओं की ओररहने का संकेत देता है | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीन चरण ,श्रवण और धनिष्ठा के दो चरण इसमें व्याप्त हैं | मकर राशि में उत्पन्न और श्रवण नक्षत्र का आविर्भाव वाला व्यक्ति
किया हुआ उपकार जानने वाला ,सुन्दर ,दानी ,सभी गुणों स युक्त ,लक्ष्मीवान और विपुल संतान वाला होता है |धनिष्ठा जब मकर राशि से संपर्क जोड़ता है ,तब उसका जातक संगीत प्रिय ,धन से परिपूर्ण ,पराई स्त्री की सेवा करने वाला और निरर्थक भी होता है |इस राशि का प्रमुख द्रव्य -स्वर्ण के अतिरिक्त -लोहा ,शीशा ,तिन ,तम्बा एवं कोयला है ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " मेरठ
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