भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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रविवार, 2 सितंबर 2012

"पदम् "नामक कालसर्पयोग के स्वाभाव और प्रभाव ?

"पदम् "नामक कालसर्पयोग के स्वाभाव और प्रभाव ?
--------जन्मकुंडली के पंचम भाव में "राहु "और एकादश भाव में "केतु "होने पर साथ ही उन दोनों के बीच सूर्यादि सातों ग्रह स्थित होने पर "पदम् "नामक -कालसर्पयोग बनता है ।  इस "पदम् "नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले व्यक्ति -बुद्धिमान ,परिश्रमी ,इज्जतदार ,स्नेहशील एवं सतत {सदा }उद्यमी होते हैं ।अपने अर्थोपार्जन के साधनों से इन्हें सदा असंतुष्टि होती रहती है ।तीव्रतर इच्छाओं के पोषक होते हैं ।दूसरों के लिए इनकी निर्णय क्षमता लाभकारी होती है किन्तु निजी कर्मों के लिए किया गया स्वयं का निर्णय हानिकारक सिद्ध हो जाता है ।ज्यादातर बड़े ही लोगों से कभी मित्रता तो कभी शत्रुता हो जाती है ।काम पिपासा अत्यधिक होती है ।।
-----------------------जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं --कि कालसर्पयोग केवल अहितकारी ही नहीं होते -लाभदायक भी होते हैं ।----हमारे देश के युवराज श्री राहुल गांधीजी की कुंडली में ग्रहों की स्थिति बहुत ही उत्तम नहीं है किन्तु ---योग के कारण -राजा एवं राजगद्दी प्राप करेंगें ।चाहे स्थिरता मिले या न मिले ।हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भी योग के कारण देर सही राजगद्दी प्राप्त की ?           
     ----------भवदीय पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री मेरठ {उत्तर प्रदेश }
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